Janmashtami 2019: जन्माष्टमी कल और परसों, बन रहा है वही अद्भुत संयोग जो द्वापर में श्रीकृष्ण के जन्म पर था
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 22, 2019 08:18 AM2019-08-22T08:18:11+5:302019-08-22T08:18:11+5:30
Janmashtami 2019: हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाये जाने वाले जन्माष्टमी के त्योहार के मौके पर इस बार बहुत ही खास संयोग बन रहे हैं। यह वैसा ही जो 5000 साल पहले द्वापरयुग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय बने थे।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाने वाल जन्माष्टमी का पर्व इस बार बेहद ही खास होने जा रहा है। ज्योतिष गणना और पंचांग के अनुसार इस बार जन्माष्टमी के मौके पर वही शुभ और अद्भुत संयोग बनने जा रहा है जो करीब 5000 साल पहले द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर बना था। इस बार श्रीकृषण का 5246वां जन्म महोत्सव मनाया जाएगा।
हालांकि, जन्माष्टमी मनाने की तिथि को लेकर अब भी कुछ संशय बना हुआ है। बहरहाल, आईए जानते हैं उस अद्भुत संयोग के बारे में जो इस बार जन्माष्टमी के मौके पर बनने जा रहा है।
Janmashtami 2019: द्वापर जैसा संयोग पर तिथि को लेकर उलझन
जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता रहा है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में करीब 5000 साल पहले धरती पर जन्म लिया था। पंचांग गणना के अनुसार भगवान कृष्ण का जब जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसे ही लेकर उलझन इस बार भी है।
यह उलझन 23 और 24 अगस्त को लेकर है। वैले, दोनों ही दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। पंचाग को देखें तो अष्टमी तिथि 23 अगस्त को ही सुबह 8.09 बजे से शुरू हो रही है और यह 24 अगस्त को सुबह 8.32 बजे खत्म होगा। वहीं, रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त को तड़के 3.48 बजे से शुरू होगा और ये 25 अगस्त को सुबह 4.17 बजे उतरेगा। कुछ पंडितों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त को रात 11.56 बजे से ही शुरू हो जाएगा। ऐसे में 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने को सबसे शुभ माना जा रहा है क्योंकि तब तिथि अष्टमी रहेगी।
आम तौर पर अलग-अलग मान्यताओं के लोगों द्वारा पहले भी दो अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाया जाता रहा है। मसलन, स्मार्त और शैव संप्रदाय जिस दिन जन्माष्टमी मनाते हैं, उसके अगले दिन वैष्णव संप्रदाय द्वारा जन्माष्टमी मनाई जाती है।
Janmashtami 2019: जन्माष्टमी पर इस बार द्वापरयुग जैसा संयोग
जानकारों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ। उस समय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था। साथ ही कान्हा के जन्म के समय सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में विराजमान थे। इस बार भी यही संयोग बन रहा है। इस लिहाज से यह जन्माष्टमी बहुत खास हो गई है क्योंकि तारों और ग्रहों की चाल करीब-करीब वैसी ही है जो द्वापरयुग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय थी।
अगर आप 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाते हैं तो पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12.08 बजे से शुरू हो जाएगा और यह 1.04 बजे तक है। व्रत का पारण अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र उतरने के बाद ही करना चाहिए। अगर दोनों के उतरने के संयोग एक साथ नहीं बन रहे हैं तो अष्टमी या फिर रोहिण नक्षत्र उतरने के बाद आप व्रत तोड़ सकते हैं। ऐसे ही 24 अगस्त को पूजा का मुहूर्त 12.01 बजे से 12.46 बजे तक का है।