Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी पर 5 उपाय करने से होगी धन की प्राप्ति, सारे काम होंगे पूरे
By रुस्तम राणा | Published: September 26, 2024 02:17 PM2024-09-26T14:17:16+5:302024-09-26T14:17:16+5:30
Indira Ekadashi 2024 Vrat Upay: हर साल यह व्रत पितृ पक्ष में रखा जाता है, इसलिए इस व्रत को पितरों के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं, उनको इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए।
Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत 28 सितंबर शनिवार को रखा जाएगा। हिन्दू धर्म में इस व्रत विशेष महत्व है। हर साल यह व्रत पितृ पक्ष में रखा जाता है, इसलिए इस व्रत को पितरों के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं, उनको इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से जातकों को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। ये उपाय निम्न प्रकार हैं-
1. इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। पूजा के दौरान उन्हें पीले चंदन और केसर में गुलाब जल मिलाकर तिलक करें। इस तिलक से स्वयं भी तिलक लगाएं और काम पर निकलें। मान्यता है कि ऐसा करने से रुका हुआ काम भी बन जाता है। कार्य अवश्य पूर्ण होता है।
2. इंदिरा एकादशी के दिन एक नारियल को थोड़ा-सा काट कर उसमें चीनी या मिश्री भरें और उस वापस बंद कर दें। इस नारियल को वहां जमीन में दबा दें, जहां चींटियों का बिल हो। इससे आपकी आर्थिक समस्याएं खत्म होने लगेंगी। कुछ ही दिनों में सभी तरह की आर्थिक समस्याएं दूर हो जाएंगी।
3. पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। पूजा के दौरान उन्हें डंठल वाले पान के 11 पत्तों पर रोली “श्री” लिख कर भगवान विष्णु को अर्पित करें। ऐसा करने से जल्दी नौकरी में प्रमोशन होता है। बिजनेस करने वालों के लिए भी नए अवसर खुलने लगते हैं।
4. आश्विन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन दिन भगवान विष्णु के प्रिय मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 21 माला जप करने से व्यक्ति पर अचानक आने वाले कष्ट और संकट दूर होते हैं।
5. इंदिरा एकादशी के दिन यदि किसी दंपति को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है, तो उन्हें उसे एकादशी के दिन से संतान गोपाल मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः’ का जप आरंभ करना चाहिए।