Indira Ekadashi 2021 Date: इंदिरा एकादशी व्रत कब है, जानें तिथि, मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Published: September 28, 2021 11:31 AM2021-09-28T11:31:31+5:302021-09-28T11:44:24+5:30

मान्यता है कि इंदिरा एकादशी व्रत करने वाले जातकों को भगवान विष्णु जी की कृपा के साथ-साथ पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है।

Indira Ekadashi 2021 Date muhurat vrat vidhi and significance | Indira Ekadashi 2021 Date: इंदिरा एकादशी व्रत कब है, जानें तिथि, मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व

इंदिरा एकादशी व्रत 2021

Highlightsइंदिरा एकादशी व्रत प्रति वर्ष आश्विन मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है।इस व्रत से भगवान विष्णु जी की कृपा के साथ-साथ पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार इंदिरा एकादशी व्रत प्रति वर्ष आश्विन मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह एकादशी व्रत पितृ पक्ष में रखा जाता है। इस कारण इसे पितृ एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले जातकों को भगवान विष्णु जी की कृपा के साथ-साथ पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इंदिरा एकादशी व्रत के प्रभाव से पितर को यमलोक में यमराज के दंड से मुक्ति मिलती है। साल 2021 में इंदिरा एकादशी व्रत 2 अक्टूबर को रखा जाएगा। 

इंदिरा एकादशी मुहूर्त 2021

एकादशी तिथि प्रारंभ - 1 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी
एकादशी तिथि का समापन - 02 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगी
व्रत पारण का समय- 03 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 06:15 बजे से 08:37 बजे तक

इंदिरा एकादशी व्रत विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। भगवान विष्णु जी की पूजा करें। पितरों के तर्पण हेतु कर्मकांड करें। शाम को भगवान विष्णु की पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अगले दिन द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत खोलें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर प्रसाद वितरण करें। 

आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, एकादशी तिथि सभी तिथियों में महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वालों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इंदिरा एकादशी का व्रत का पुण्य लाभ अपने पितरों को समर्पित कर देता, तो उनके पितर जो यमलोक में यमराज का दंड भोग रहे होते हैं उन्हें इसके प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पितृगण प्रसन्न होकर आपको सुख-शांति, समृद्धि, वंश वृद्धि, उन्नति मान सम्मान और पद प्रतिष्ठा प्राप्त होने का आशीर्वाद दते हैं। 

इंदिरा एकादशी की व्रत कथा

सतयुग में इंद्रसेन नाम के एक राजा माहिष्मति नामक क्षेत्र में शासन करते थे। इंद्रसेन परम् विष्णु भक्त और धर्मपरायण राजा थे और सुचारू रूप से राज-काज कर रहे थे। एक दिन आचानक देवर्षि नारद का उनकी राज सभा में आगमन हुआ। राजा ने देवर्षि नारद का स्वागत सत्कार कर उनके आगमन का कारण पूछा। नारद जी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व वो यमलोक गए थे वहां पर उनकी भेंट राजा इंद्रसेन के पिता से हुई। राजन आपके पिता ने आपके लिए संदेशा भेजा है। उन्होंने कहा कि जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग हो जाने के कारण उन्हें अभी तक मुक्ति नहीं मिली है और उन्हें यमलोक में ही रहना पड़ रहा है। मेरे पुत्र और संतति से कहिएगा कि यदि वो अश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें तो उसके भाग से मुझे मुक्ति मिल जाएगी।

Web Title: Indira Ekadashi 2021 Date muhurat vrat vidhi and significance

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे