आज है पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी, व्रत करने से खुलते हैं स्वर्ग के द्वार, जानें व्रत पूजा और विधि

By गुलनीत कौर | Published: October 4, 2018 02:20 PM2018-10-04T14:20:22+5:302018-10-05T08:56:08+5:30

Indira Ekadashi 2018 ( इंदिरा एकादशी): 4 अक्टूबर की रात 9:49 से एकादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो कि अगली शाम 7:18 तक चलेगी।

Indira Ekadashi 2018: Date, time, significance, importance, vrat katha, vrat vidhi, parana time | आज है पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी, व्रत करने से खुलते हैं स्वर्ग के द्वार, जानें व्रत पूजा और विधि

Indira Ekadashi 2018| इंदिरा एकादशी पूजा विधि | Indira Ekadashi Date, Indira Ekadashi Timing, Indira Ekadashi Significance

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने दो बार एकादशी आती है, एक कृष्ण पक्ष में तो दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है। हर एकादशी के पीछे एक कहानी, व्रत की महिमा और महत्व है। इस बार पितृ पक्ष की एकादशी 'इंदिरा एकादशी' आ रही है। कैलेंडर के अनुसार 5 अक्टूबर को इंदिरा एकादशी है और 6 अक्टूबर सूर्योदय के बाद इस एकादशी के व्रत का पारण किया जाएगा। 

4 अक्टूबर की रात 9 बजकर 49 मिनट से ही एकादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। लेकिन व्रत अगले दिन 5 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद से ही माना जाएगा। 5 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 18 मिनट तक एकादशी तिथि चलेगी, किन्तु व्रत का पारण 6 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद ही किया जाना चाहिए।

इंदिरा एकादशी का महत्व

पौराणिक कथन के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत एवं इस एकादशी की पूजा करने से साधक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। चूंकि ये एकादशी पितृ पक्ष में आती है, इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। 

इंदिरा एकादशी व्रत विधि

हर एकादशी की तरह इस एकादशी में भी फलाहार का सेवन करके व्रत किया जाता है। व्रती चाहे तो निर्जला उपवास भी किया जा सकता है। एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और सूर्य भगवान को अर्ध्य दें।

इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप प्रज्जवलित करें। चालीसा, पाठ या मंत्र का जाप करें। जाप सम्पूर्ण होने के बाद पूरा दिन और रात तक केवल फलाहार का सेवन करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ही व्रत का पारण करें।

ये भी पढ़ें: नवरात्रि विशेष: नौ दिनों में पहनें ये नौ रंग, होगी नवदुर्गा की अपार कृपा

इंदिरा एकादशी व्रत कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है, महिष्मतीपुरी के एक राजा थे जिनका नाम था इन्द्रसेन। राजा अपनी प्रजा के बेहद समीप थे और दिल से उनका पुकार सुनते थे। राजा की एक और खासियत थी कि वे सच्चे 'विष्णु' भक्त थे। और दिनभर में हरी अराधना के लिए समय जरूर निकाल लिया करते थे। 

एक दिन अचानक देवर्षि नारद उनके दरबार में आए। उन्हें देखते ही राजा बेहद प्रसन्न, उनका आदर सम्मान किया और दिल से उनकी सेवा में लग गए। कुछ पलों के बाद देवर्षि ने अपने वहां आने का कारण बताया जिसे सुन राजा अचंभित रह गए।

देवर्षि ने बताया कि वे अपने किसी कार्य से यमलोक गए थे गया और वहां उन्होंने राजा इन्द्रसेन के पिता को देखा। व्रतभंग होने के दोष से उन्हें यमलोक के कष्ट सहने पड़ रहे हैं। देवर्षि ने राजा से कहा कि तुम्हारे पिता चाहते हैं कि तुम अश्विन पास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करो और उन्हने इस पाप से मुक्ति दिलाओ।

देवर्षि ने फिर राजा को समझाया कि अश्विन पास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पितरों को सद्गति देने वाली होती है। अतन इसका व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है। इसलिए आप पूरे मन से इस एकादशे एका व्रत करें। 

इसके बाद राजा ने अश्विन पास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया जिसे बाद में इंदिरा एकादशी के नाम से जाना गया। इसी कथा को आधार मानते हुए हर साल इनिद्रा एकादशी का व्रत और पूजन किया जाता है ताकि पितरों को भी शांति मिले और स्वयं के लिए भी मोक्ष के द्वार खोले जाएं।

English summary :
Indira Ekadashi 2018: According to the Hindu calendar, Indira Ekadashi (एकादशी) comes twice every month, in the Krishna paksh, the second Shukla paksh Ekadashi. There is a story behind every Ekadashi, the glory and importance of the fast. This time, Indira Ekadashi ( इंदिरा एकादशी) main Ekadashi. According to the calendar, Indira Ekadashi will be on October 5.


Web Title: Indira Ekadashi 2018: Date, time, significance, importance, vrat katha, vrat vidhi, parana time

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे