होलाष्टक 2019: आज से शुरू हुआ 7 दिनों का अशुभ काल, जानें निषेध कार्य
By गुलनीत कौर | Published: March 14, 2019 07:23 AM2019-03-14T07:23:01+5:302019-03-14T07:23:01+5:30
धर्म शास्त्रों के अनुसार होली से ठीक आठ दिनों पहले अशुभ काल प्रारंभ हो जाता है। इसे 'होलाष्टक' के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू धर्म में फाल्गुन मास का मतलब है रंगों का महीना। क्योंकि इस महीने में मनाया जाता है रंगों का पर्व होली। लेकिन होली से ठीक आठ दिन पहले से ही 'होलाष्टक' का अशुभ काल शुरू हो जाता है। इसी के साथ मांगलिक और शुभ कार्य्बंद कर डाई जाते हैं। होलिका दहन की अग्नि के साथ ही इस अशुभ काल की भी समाप्ति हो जाती है। इस वर्ष 14 से 20 मार्च तक होलाष्टक हैं।
यूं तो होलाष्टक आठ दिनों का होता है। मगर इस साल यह केवल सात दिनों का है। 14 से 20 मार्च के बीच कई कार्य करना वर्जित होगा। ज्योतिष और धर्म की दिष्टि से होलाष्टक एक 'दोष' माना जाता है जिसमें यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो वह फलित सिद्ध नहीं होता है।
क्या है होलाष्टक? (What is Holashtak)
धर्म शास्त्रों के अनुसार होली से ठीक आठ दिनों पहले अशुभ काल प्रारंभ हो जाता है। इसे 'होलाष्टक' के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे पौराणिक कथा है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नामक एक राजा थे। वे बहुत बड़े नास्तिक थे। किन्तु उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने बहुत कोशिश की कि प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे, किन्तु उसकी हर कोशिश असफल रही।
आखिरकार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा हिरण्यकश्यप ने अपन ही पुत्र प्रहलाद को बंदी बना लिया। उसने सोचा कि वह डर से विष्णु की भक्ति छोड़ देगा। मगर लगातार आठ दिन प्रहलाद विष्णु भक्ति में लीन रहा। आठवें दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका को वरदान था कि वह जलेगी नहीं, किन्तु भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका जल गई, प्रहलाद बच गया। तब से आजतक इन आठ दिनों को बेहद अशुभ माना गया है।
भगवान शिव से जुड़ा है होलाष्टक
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था। इसके बाद संसार में शोक फ़ैल गया। परिवार की खुशियां खत्म हो गईं। तब कामदेव की पत्नी ने शिव से कामदेव की भूल की क्षमा माँगी और वरदान हेतु शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया।
कामदेव को भस्म करने से लेकर अगले आठ दिनों तक आज भी शोक मनाया जाता है। इन दिनों को 'होलाष्टक' का नाम देकर अशुभ माना जाता है। इसके बाद कामदेव के पुनर्जीवित होने की खुशी में दुल्हंडी (रंगवाली होली) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
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होलाष्टक पर ना करें ये कार्य (Do's, dont's for Holashtak 2019)
- मांगलिक कार्य
- शुभ कार्य
- विवाह
- मुंडन
- गृह प्रवेश
- गर्भाधान
- नए बिज़नेस/कार्य की शुरुआत