होली 2019: नजदीक है 'होलाष्टक', खरमास', एक महीने तक न करें ये 5 भूल, वरना बिगड़ जाएंगे बने काम

By गुलनीत कौर | Published: March 11, 2019 04:06 PM2019-03-11T16:06:22+5:302019-03-11T16:06:22+5:30

रंगों का त्योहार होली अपने साथ कई सारी महत्वपूर्ण तिथियां लेकर आता है। इस त्योहार से पहले होलाष्टक लगता है जिसे अशुभ समय कहा जाता है। एक दिन पहले होलिका दहन होता है और फिर आखिरकार रंगों से होली खेली जाती है।

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होली 2019: नजदीक है 'होलाष्टक', खरमास', एक महीने तक न करें ये 5 भूल, वरना बिगड़ जाएंगे बने काम

हिन्दू धर्म में रंगों का त्योहार होली वसंत ऋतु के समय मनाया जाता है। यह दो दिन का पर्व होता है जिसमें पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंग, गुलाल से होली खेली जाती है। इस दिन को धर्म शास्त्रों में दुल्हंडी के नाम से जानते हैं। होली 2019 का पर्व 20 और 21 मार्च को मनाया जाएगा। 20 को होलिका दहन होगा और अगले दिन 21 मार्च को रंगवाली होली खेली जाएगी। 

होली 2019, तिथि, शुभ मुहूर्त (Holi 2019 date, time)

पंचांग के अनुसार 20 मार्च को होलिका दहन है। 10 बजकर 45 मिनट से अशुभ काल भद्रा प्रारंभ हो जाएगा जो कि रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। तो इस हिसाब से रात 9 बजे के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के दौरान भद्रा काल का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक होता है नहीं तो पूजा निष्फल मानी जाती है।

होलिका दहन से अगले दिन रंगवाली होली यानी 'दुल्हंडी' का पर्व मनाह्या जाएगा। यह 21 मार्च की सुबह से प्रारंभ हो जाएगा। पंचांग के अनुसार इस बार दुल्हंडी का पर्व मातंग योग में मनाया जाएगा। पूर्वा फागुनी और उत्तरा फागुनी नाम के दो नक्षत्रों में होली खेली जाएगी। वर्षों बाद इन नक्षत्रों के होने से इस साल की होली अत्यंत शुभ मानी जा रही है।

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कब से है होलाष्टक 2019 (Holashtak 2019 start end date)

धर्म शास्त्रों की मानें तो होली से कुछ दिन पहले ही अशुभ समय 'होलाष्टक' शुरू हो जाता है। कहते हैं कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। होलाष्टक 2019 गुरूवार 14 मार्च से शुरू होकर फाग के दिन समाप्त होंगे। यूं तो हमेशा होलाष्टक आठ दीन्हों के होते हैं लेकिन इस वर्ष होलाष्टक केवल सात दिनों तक चलेंगे।

क्या है होलाष्टक? (Holashtak 2019 significance)

धर्म शास्त्रों के अनुसार होली से ठीक आठ दिनों पहले अशुभ काल प्रारंभ हो जाता है। इसे 'होलाष्टक' के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे पौराणिक कथा है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नामक एक राजा थे। वे बहुत बड़े नास्तिक थे। किन्तु उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने बहुत कोशिश की कि प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे, किन्तु उसकी हर कोशिश असफल रही।

आखिरकार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा हिरण्यकश्यप ने अपन ही पुत्र प्रहलाद को बंदी बना लिया। उसने सोचा कि वह डर से विष्णु की भक्ति छोड़ देगा। मगर लगातार आठ दिन प्रहलाद विष्णु भक्ति में लीन रहा। आठवें दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में  बैठ गई। होलिका को वरदान था कि वह जलेगी नहीं, किन्तु भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका जल गई, प्रहलाद बच गया।

तब से आजतक इन आठ दिनों को बेहद अशुभ माना गया है। इस दौरान ना तो कोई नया काम शुरू किया जाता है और ना ही किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत की जाती है। होलाष्टक में शुभ कार्य, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य वर्जित होते हैं। 

15 मार्च से खरमास

पंचांग के अनुसार 14 मार्च से होलाष्टक और 15 मार्च से अशुभ महीना खरमास भी शुरू हो रहा है। 15 मार्च से सूर्य मीन राशि में आ रहे हैं। तो इसी दिन से मीन संक्रांति भी होगी। इन सभी चीजों के संयोग से होली तक और उसके बाद का समय भी सचेत रहने वाला माना जा रहा है। 

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