गुरु रविदास जयंती, जानें इस महान संत के बारे में कुछ अनसुनी बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 18, 2019 04:58 PM2019-02-18T16:58:26+5:302019-02-19T08:47:46+5:30

गुरु रविदास जी नीची जाति से थे। इसी वजह से उच्च कुल के बच्चे उन्हे परेशान करते थे। उन्हे इस बाद से बहुत घृणा थी कि हमारे समाज में लोग जाति में भेदभाव क्यो करते हैं। उन्होने समाज की सोच बदलने के लिए कलम का सहारा लिया।

Guru Ravidas Jayanti, importance, significance, guru ravidas birth story | गुरु रविदास जयंती, जानें इस महान संत के बारे में कुछ अनसुनी बातें

गुरु रविदास जयंती, जानें इस महान संत के बारे में कुछ अनसुनी बातें

14वीं-15वीं शताब्दी में जन्में गुरू रविदास एक महान कवि, संत और समाज सुधारक थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी के गोबर्धन गांव में हुआ था। इनके पिता संतोख दास और माता का नाम कलसा देवी था। कई लोगों का मानना है कि रविदास जी का जन्म 1376-77 में हुआ था। कई दस्तावेजों से पता चलता है कि 1450 से 1520 के बीच उन्होने धरती पर समय बिताया था।

2019 में कब मनायी जाएगी जयंती

गुरू रविदास जी की जयंती 19 फरवरी, 2019 को मनायी जाएगी। इस साल उनका 642वां जन्म दिवस होगा। यह पूर्णिमा को माघ के महीने में मनाई जाती है। आज भी लाखों-करोड़ो की संख्या में भक्त है जो इस दिन उनके दोहे सुनाकर और मंदिरो में कीर्तन करते है। सिख समुदाय द्वारा नगर कीर्तन किये जाते है।

पिता करते थे चमड़े का काम

इनके पिता राजा नगर राज्य में सरपंच हुआ करते थे। रविदास के पिता संतोख दास मरे हुए जानवरों की खाल निकालकर उनका चमड़ा बनाते थे, जिनसे वो चप्पल बनाया करते थे। रविदास जी शुरू से ही बहुत बहादुर और साहसी थे। वो किसी भी कार्य को करने से कभी झिझकते नहीं थे।

ऊंच-नीच में नहीं रखते थे विश्वास

गुरु रविदास जी नीची जाति से थे। इसी वजह से उच्च कुल के बच्चे उन्हे परेशान करते थे। उन्हे इस बाद से बहुत घृणा थी कि हमारे समाज में लोग जाति में भेदभाव क्यो करते हैं। उन्होने समाज की सोच बदलने के लिए कलम का सहारा लिया। रविदास जी ने अपनी कई रचनाओं से लोगों को समझाया कि हमें किसी भी व्यक्ति के साथ जात-पात को लेकर भेदभाव नहीं करना चाहिए।

संत रविदास जी की शिक्षा

रविदास जी ने अपने गुरू पंडित शारदा नंद की पाठशाला में शिक्षा लिया करते थे। उनके गुरू अच्छी तरह से जानते थे की यह ईश्वर द्वारा भेजा गया एक बालक है। जो समाज में चल रहे ऊंच-नींच के भेदभाव को समाप्त कर सकता है,लोगों के प्रति सोच बदल सकता है। ऊंची जाति के लोगों ने उनकी पाठशाला में आना बंद करवा दिया था। लेकिन उनके गुरू ने उन्हे पर्सनल पाठशाला में शिक्षा दी।

आलौकिक शक्तियां   

रविदास जी के गुरू पंडित शारदा नन्द का बेटा रविदास जी का प्रिय मित्र था। एक दिन रविदास जी के मित्र की किसी कारणवश मौत हो गई, जब पंडित शारदा नन्द उन्हे अपन् मृत मित्र के पास ले जाते है। जब रविदास अपने मित्र को पुकारते है तो वह जीवित हो जाते है। ऐसा देखकर लोग अचंभित हो गए, लगा की इनके पास चमत्कारिक शक्तियां है।

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गुरू रविदास का जीवन

जैसे-जैसे वो बड़े होते गए उनकी रुचि भगवान राम की भक्ति में बढ़ती गई। वो हमेशा रघुनाथ, राम, राजाराम चंद्र, कृष्णा, हरी के शब्द का इस्तेमाल करते थे। जिनसे उन्हे एक अध्यात्मिक गुरू माना जाने लगा।

कैसा था उनका स्वभाव

पहनावे को लेकर शुद्र लोग रविदास जी को जनेऊ, तिलक, और कपड़े में रोक-टोक लगाते थे। लेकिन वो समाज की ऊंच-नीच की भावना को बेकार बताते थे। वो हर व्यक्ति को एक समान मानते थे। लेकिन ऊंची जाति के लोग उनकी सोच के खिलाफ थे। जब लोगों ने रविदास जी की शिकायत राजा से की तो उन्होने बहुत सहजता से जवाब देते हुए कहा की शुद्र के पास  भी लाल खून है और हमारे पास भी, तो फर्क कैसा? उनका मानना था कि खाली जनेऊ पहनने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। राजा ने उनसे माफी मांगकर समाज के नजरिये को बदलने को कहा।

यहां तक जब बाबर भी संत रविदास से आशीर्वाद लेने गए तो उन्होने आशीर्वाद की जगह बाबर को दंडित किया। क्योकि बाबर ने कई मासूमों की जान ली थी। लेकिन भारतीय इतिहास के अनुसार रविदास से मिलने के बाद बाबर अच्छे समाजिक कार्य करने लगता है। रविदास जी मीरा बाई के भी धार्मिक गुरू रह चुके थे।

रविदास जी की मृत्यु कब हुई

जैसे ही उनके अनुयायी की संख्या बढ़ रही थी। इस बात को लेकर ब्रहाम्ण समाज के लोग उन्हे मारना चाहते थे। एक आयोजन के तहत उन्हे मारने की साजिश की गई। मगर ऐसा हो न सका। रविदास की जगह उन्ही के साथी की मृत्यु हो जाती है। विरोधियों को तब ज्ञात हुआ की यह कोई साधारण मनुष्य नहीं है। लोगों के अनुसार उनकी मृत्यु 1540 में वाराणसी में हुई थी। वाराणसी में उनके नाम से कई स्मारक बने हुए है।

English summary :
Guru Ravidas Jayanti 2019 Special: Guru Ravi Das, born in the 14th-15th century, was a great poet, saint and social reformer. He was born in Gobardhan village in Varanasi, Uttar Pradesh. His father Santokh Das and mother's name were Kalsa Devi. Many people believe that Ravidas Ji was born in 1376-77.


Web Title: Guru Ravidas Jayanti, importance, significance, guru ravidas birth story

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