Guru Purnima 2020: गुरु की आराधना से पहले जान लें ये जरूरी नियम
By गुणातीत ओझा | Published: July 3, 2020 01:25 PM2020-07-03T13:25:38+5:302020-07-05T07:55:51+5:30
Guru Purnima 2020: आज 5 जुलाई 2020 को गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है। पिछले साल की ही तरह इस साल भी गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक ही दिन पड़ है।
Guru Purnima Rules: आज आषाढ़ मास की पूर्णिमा है और इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रखांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।
गुरु की आराधना से पहले जान लें ये जरूरी नियम
-ब्रह्मलीन हो चुके सद्गुरुओं की प्रतिमा, चित्र या फिर उनकी पादुका का पूजन करके और जीवित गुरुओं के चित्र का पूजन कर अपने भक्ति-भाव को प्रकट करें।
-गुरु के पास विनम्र भाव से जाएं और उन्हें झुक कर प्रणाम करें। जिस तरह कुंए में रस्सी के जरिए डाला गया बर्तन ज्यादा झुकाए जाने पर ज्यादा पानी अपने भीतर समाता है, बिल्कुल उसी तरह गुरु के पास समर्पित भाव से जाने पर उनकी अत्यधिक कृपा बरसती है।
-गुरु के पास उनकी आज्ञा लेकर ही मिलने जाएं और उनकी आज्ञा लेकर ही प्रस्थान करें।
-गुरु से मिले दिव्य मंत्र का जप और मनन करें। कभी भूलकर भी दूसरे से इसकी चर्चा नहीं करनी चाहिए।
-सच्चे गुरु का सान्निध्य, उनकी कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए पहले सुपात्र बनें क्योंकि यदि आपके पात्र में जरा सा भी छेद है तो गुरु से मिले अमृत ज्ञान को आप खो देंगे।
- भूलकर भी अपने गुरु को नाराज न करें क्योंकि एक बार यदि ईश्वर आपसे नाराज हो जाएं तो सद्गुरु आपको बचा लेंगे। लेकिन यदि गुरु नाराज हो गए तो ईश्वर भी आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। कहने का तात्पर्य सद्गुरु के नहीं होने पर आपकी कोई मदद नहीं कर सकता।
-गुरु की पूजा का अर्थ सिर्फ फूल-माला, फल, मिठाई, दक्षिणा आदि चढ़ाना नहीं है बल्कि गुरु के दिव्य गुणों को आत्मसात करना है। गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और आभार प्रकट करने का दिन है।