गूगल पर ट्रेंड कर रहा 'गुरु पेयरची', बृहस्पति ग्रह से है संबंध, अगले सप्ताह होगा कुछ ऐसा
By गुलनीत कौर | Published: October 4, 2018 04:30 PM2018-10-04T16:30:55+5:302018-10-04T16:30:55+5:30
Guru Peyarchi Palangal 2018 importance: 11 अक्टूबर 2018 को गुरु ग्रह का तुला राशि से वृश्चिक राशि में गोचर हो रहा है।
गूगल पर गुरु पेयरची नाम काफी ट्रेंड कर रहा है। दरअसल यह ज्योतिष शास्त्र से जुड़ी एक नामावली है जो कि तमिल ज्योतिष शास्त्र द्वारा प्रदान की गयी है। जिसके अनुसार सौरमंडल के सबसे विशाल ग्रह गुरु यानी बृहस्पति जब एक राशि से दूसरी राशि में गोचर (प्रवेश) करते हैं तो उसे तमिल ज्योतिष शास्त्र की भाषा में गुरु पेयरची के नाम से जाना जाता है।
सरल भाषा में यह केवल गुरु ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन है। चूंकि गुरु ग्रह सौरमंडल के सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक है इसलिए जब गुरु राशि परिवर्तन करते हैं तो ज्योतिष की दुनिया में इसके महत्व दिया जाता है। इस बार 11 अक्टूबर 2018 को गुरु ग्रह का तुला राशि से वृश्चिक राशि में गोचर हो रहा है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक गुरु ग्रह एक राशि में पूरा एक साल ही रहते हैं। उस राशि में वे लग्न भाव में रहते हैं और एनी ग्यारह राशियों के अलग भाव में विराजमान होकर फल प्रदान करते हैं। आइए आपको बताते हैं ज्योतिष शास्त्र में गुरु यानी बृहस्पति ग्रह का महत्व।
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ज्योतिष में गुरु का महत्व
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार बृहस्पति या गुरु ग्रह सबसे बड़ा ग्रह है। यह विशाल ग्रह है जिसे बेहद ताकतवर भी माना गया है। कहा यह भी जाता है कि गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव होने से अत्यंत लाभ मिलते हैं, विशेषतौर पर धन का लाभ मिलता है।
सप्ताह का चौथा दिन बृहस्पति, गुरु ग्रह से जुड़ा है। इसदिन लोग बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए पीले वस्त्र पहनते हैं, पीली रंग की वस्तुओं का दान करते हैं और बृहस्पति देव के लिए व्रत भी करते हैं।
गुरु ग्रह की कृपा से होते हैं लाभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में चौथे, सातवें और दसवें भाव में यदि गुरु शुभ स्थिति में विराजमान हों तो सारी उम्र ऐसा व्यक्ति धन और सुख को प्राप्त करता है। यदि 12वें भाव में भी गरू की शुभ स्थिति हो तो यह मजबूत धन योग प्रदान करता है।
कुंडली में यदि गुरु शुभ हों तो धन, सुख, प्रसिद्धि, शांति, प्रसन्नता, सुखों से भरा भविष्य, अच्छा स्वास्थ्य इत्यादि चीजें प्राप्त होती हैं। परंतु गुरु की अशुभ स्थिति यह सब कुछ छीन लेती है। साथ ही कई तरह के रोग भी प्रदान करती है।
गुरु की शुभता पाने के लिए इस मंत्र का जाप सहयोगी बनता है: 'देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥'