14 जुलाई से गुप्त नवरात्रि, 9 दिन ऐसे करें महाकाली की पूजा, होगा दुश्मनों का नाश
By मेघना वर्मा | Published: July 12, 2018 09:22 AM2018-07-12T09:22:45+5:302018-07-12T09:22:45+5:30
जो साधक नौ दिनों का व्रत रखते हैं या नियम से मां काली की पूजा करते हैं उनको इस 9 दिन काले रंग की किसी भी वस्तु या कपड़े को धारण नहीं करना चाहिए।
कुछ ही लोगों को यह ज्ञात होगा कि हिन्दू धर्म में एक साल में चार नवरात्र होते हैं। जी हां लेकिन मां दुर्गा के नवरात्री की धूम पूरे देश में होती है लेकिन मां काली की पूजा में मनाया जाने वाली गुप्त नवरात्री के बारे में कुछ लोग ही जानते हैं। इस बार यह नवरात्री आषाढ़ मास के शुक्ल प्रतिपदा यानी 14 जुलाई से शुरू हो कर नवमी यानी 21 जुलाई तक जाएगा। इस गुप्त नवरात्री में महाकाल और महाकाली की पूजा की जाती है। इस नवरात्री की पूजा अपना अलग और विशेष महत्व होता है। आज हम आपको बताएंगे क्या है इस पूजा का महत्व और कैसे करनी चाहिए मां काली की पूजा।
विशेष है ये नवरात्र
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र में वामाचार पद्धति से उपासना की जाती है। इस समय शाक्त (महाकाली की पूजा करने वाले) एवं शैव ( भगवान शिव की पूजा करने वाले) धर्मावलंबियों के लिए पैशाचिक, वामाचारी क्रियाओं के लिए उपयुक्त होता है। इसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की जाती है। इस गुप्त नवरात्र में संहारकर्ता देवी-देवताओं के गणों एवं गणिकाओं अर्थात भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी, शाकिनी, खण्डगी, शूलनी, शववाहनी, शवरूढ़ा आदि की साधना भी की जाती है। ऐसी साधनाएं शाक्त मतानुसार शीघ्र ही सफल होती हैं।
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ना पहने काले रंग के कपड़ें
गुप्त नवरात्री में कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है। जो साधक नौ दिनों का व्रत रखते हैं या नियम से मां काली की पूजा करते हैं उनको इस 9 दिन काले रंग की किसी भी वस्तु या कपड़े को धारण नहीं करना चाहिए इस दौरान लोगों को चमड़े से बनी भी किसी चीज का उपयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में बाल भी नहीं कटवाना चाहिए साथ ही अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी नहीं करवाना चाहिए। वे लोग जा गुप्त नवरात्री की पूजा करते हैं उन्हें दिन में सोने के लिए भी मना किया गया है। बता दें गुप्त नवरात्री में तंत्र साधना की जाती है जिसे बहुत टफ बताया जाता है।
गुप्त नवरात्र की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में ऋषि श्रंगी एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। तभी भीड़ में से एक स्त्री बोली, 'मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं। इस वजह से मैं धार्मिक कार्य व्रत-उपवास, अनुष्ठान नहीं कर पाती हूं। मैं मां दुर्गा की शरण में जाना चाहती हूं, लेकिन मेरे पति के पापों की वजह से मां की कृपा नहीं हो पा रही है। मेरा मार्गदर्शन करें.' इस तरह का वृतांत सुन ऋषि श्रंगी बोले, 'चैत्र और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है। लेकिन इनके अलावा साल में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं। इनमें नौ देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। अगर तुम विधिवत ऐसा कर सको तो मां दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जाएगा।' यह सुन स्त्री ने गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की कठोर साधना की। स्त्री की भक्ति से मां प्रसन्न हुईं और उसके पति को सद्बुद्धि आ गई। स्त्री की गृहस्थी संपन्न और खुशहाल हो गई।
गुप्त नवरात्र में भी साधारण नवरात्र की तरह करें पूजा
बाकि नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र में देवी की पूजा की जाती है। पहले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए कलश की स्थापना करनी चाहिए। घर के मंदिर में अखंड ज्योति जलाएं। सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन करें। नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशति का पाठ करना चाहिए। समय की कमी हो तो सप्त श्लोकी दुर्गा पाठ करना चाहिए। तंत्र साधना करने वाले साधक गुप्त नवरात्र में माता के नौ रूपों की बजाए दस महाविद्याओं की साधना करते हैं।
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ऐसे करें कलश स्थापना
घर के मंदिर में घी का दीपक जलाने के बाद शुद्ध मिट्टी रखें। मिट्टी में जौं डालें और पवित्र जल का छिड़काव करें। मिट्टी के ऊपर पीतल, तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर रखें। कलश में सिक्के डालें और उसके चारों ओर मौली बांधें। पुष्प माला चढ़ाएं। कलश को ढक कर आम के पांच पत्ते रखें। लाल कपड़े में नारियरल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें। इसके बाद कलश पर सुपारी, साबुत चावल छिड़कें और मां दुर्गा का ध्यान करें।