गणेश चतुर्थी पर अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की खास वर्कशॉप, कर्मचारियों ने सीखा इको फ्रेंडली गणेश बनाना

By गुलनीत कौर | Published: September 14, 2018 05:08 PM2018-09-14T17:08:39+5:302018-09-14T17:08:39+5:30

पीओपी से बनी मूर्ति जब पानी में जाएगी तो ना केवल पानी के जीवों को इससे नुकसान होगा, साथ ही यह पानी जब इंसानों द्वारा इस्तेमाल में आएगा तो इसका उनकी सेहत पर भी खराब असर होगा।

Ganesh Chaturthi: American embassy organised eco friendly Ganesh idol making workshop | गणेश चतुर्थी पर अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की खास वर्कशॉप, कर्मचारियों ने सीखा इको फ्रेंडली गणेश बनाना

गणेश चतुर्थी पर अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की खास वर्कशॉप, कर्मचारियों ने सीखा इको फ्रेंडली गणेश बनाना

हिन्दुओं के लिए गणेश चतुर्थी का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस पर्व पर आस्था की नींव पर आप विभिन्न धर्मों का मिलन देख सकते हैं। जहां एक ओर हिन्दू गणेश विसर्जन करते हैं, वहीं दूसरे ओर दूसरे धर्म और समुदाय के लोग उन्हें सफलतापूर्वक इस रिवाज को निभाने में मदद करते हैं। गणेश विसर्जन के दौरान आपको ऐसे कई दृश्य आसानी से देखने को मिल जाएंगे। समय के साथ गणेश चतुर्थी का क्रेज लोगों में बढ़ा है और साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इस त्योहार के रंगों का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव ही पड़े।

आजकल लोग इको-फ्रेंडली गणपति को बढ़ावा दे रहे हैं। पीओपी के गणपति की बजाय मिट्टी या ऐसी चीज से गणपति तैयार किए जाते हैं जिसे पानी में विसर्जित करने के बाद ना पानी प्रदूषित हो, और ना ही उसमें रह रहे जीव-जंतुओं पर इसका कोई बुरा प्रभाव हो। देशभर में इको-फ्रेंडली गणपति को बढ़ावा दिया जा रहा है। और यह कोशिश देश के बाहर भी देखी जा सकती है। 

अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य में एक खास वर्कशॉप का आयोजन कराया गया। इस वर्कशॉप में इको-फ्रेंडली तरीके से गणपति की मूर्तियां बनाना सिखाया गया। ट्विटर पर 'यूएसए हिंदी में' द्वारा एक पोस्ट किया गया जिसमें उन्होंने बताया कि यहां के वाणिज्य दूतावास द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन कराया गया जिसमें कर्मचारियों को अपने पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी की गणेश-प्रतिमा बनाना सिखाया गया।



 

ट्विटर पर इस बात की जानकारी देते हुए एक तस्वीर भी पोस्ट की गई है जिसमें एक विदेशी महिला के हाथ में गणपति की मूर्ति देखी जा सकती है जो प्राकृतिक मिट्टी से ही बनाई गई है।

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क्यों होनी चाहिए इको-फ्रेंडली गणपति मूर्ति?

- प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति पानी में जाने के बाद पानी को प्रदूषित करती है। पीओपी में कई केमिकल होते हैं जो पानी में रहने वाले जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए गणपति बनाते समय यदि प्राकृतिक मिट्टी का प्रयोग किया जाए तो यह पानी में जाती ही घुल जाएगी और किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा।

- पीओपी से बनी मूर्ति जब पानी में जाएगी तो ना केवल पानी के जीवों को इससे नुकसान होगा, साथ ही यह पानी जब इंसानों द्वारा इस्तेमाल में आएगा तो इसका उनकी सेहत पर भी खराब असर होगा। 

 - इको-फ्रेंडली गणपति बनाने के एक फायदा यह भी है कि आप ऐसी मूर्ति घर पर ही बना सकते हैं। इसके लिए आपको किसी मूर्तिकार की आवश्यकता नहीं है। 

Web Title: Ganesh Chaturthi: American embassy organised eco friendly Ganesh idol making workshop

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