Vrat In September: 29 से नवरात्र की शुरुआत, जानिए सितंबर में पड़ेंगे कौन-कौन से व्रत और त्योहार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 3, 2019 11:47 AM2019-09-03T11:47:55+5:302019-09-03T12:08:22+5:30
Vrat and Festival in September Month: सितंबर में इस बार कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। महीने की शुरुआत ही हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों से हुई है। महीने के आखिर में शारदीय नवरात्र का भी प्रारंभ हो रहा है।
सितंबर महीने की शुरुआत हो चुकी है और इसके पहले तीन दिन तीन अहम व्रत और त्योहारों के नाम रहे। 1 और 2 सितंबर को जहां हरतालिक तीज व्रत किया गया वहीं, 2 तारीख को ही पूरे देश में गणेश चतुर्थी की भी धूम रही। इसी के साथ गणेशोत्व की भी शुरुआत हो गई जो अगले 10 दिनों तक जारी रहेगी। सितंबर महीने की शुरुआत भाद्रपद के शुक्त पक्ष के साथ शुरु हुई है और 3 तारीख को ऋषि पंचमी है। आईए, जानते हैं इस महीने यानी सितंबर में और कौन-कौन से वह तारीख हैं जो किसी व्रत, त्योहार या फिर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होंगे।
राधाष्टमी (6 सितंबर, शुक्रवार)
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी मनाया जाता है। जबकि शुक्ल पक्ष की अष्टमी राधाष्टमी के तौर पर मनाया जाता है। दूसरे शबदों में कहें तो इसे भगवान कृष्ण के जन्मदिन जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन राधा का जन्म हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राधा का जन्म वृंदावन के पास स्थित बरसाना में यहां हुआ था।
परिवर्तिनी एकादशी (9 सितंबर, सोमवार)
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 9 सितंबर को है। इसे पद्मा या परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हर महीने में कम से कम दो एकादशी के व्रत जरूर पड़ते हैं।
मुहर्रम (10 सितंबर, मंगलवार)
हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने के मौके मुहर्रम का तजिया 10 सितंबर को निकाला जाएगा। तजिया इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम के 10वें दिन निकाला जाता है। इस पूरे महीने शिया मुसलमान शोक मनाते हैं और अपने पूर्वजों की कुर्बानी को याद करते हैं।
अनंत चतुर्दशी (12 सितंबर, गुरुवार)
अनंत चतुर्दशी व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस बार यह 12 सितंबर को पड़ रहा है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन हरि की पूजा करने और 'अनंत सूत्र' को हाथों पर बांधने का विधान है। मान्यता है यह व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और संपन्नता आती है।
पितृपक्ष की शुरुआत (14 सितंबर, शनिवार)
श्राद्ध और पितरों को पिंडदान करने की अवधि 14 सितंबर से शुरू हो रही है। पितृपक्ष भाद्रपद मास के प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह अवधि करीब 15 दिनों की होती है जब पूर्वजों को याद किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा (17 सितंबर, मंगलवार)
हर बार की तरह विश्वकर्मा पूजा इस बार भी 17 सितंबर को होगा। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने भगवान विश्वकर्मा को ही सृष्टि निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस दिन कल-कारखानों, निर्माण स्थल आदि जगहों पर मशीनों की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं में जिक्र मिलता है कि कई मौकों पर अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था।
जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया (22 सितंबर, रविवार)
यह व्रत संतान के दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ किया जाता है। इस दिन मां अपने संतान के लिए निर्जला व्रत रखती है। जितिया व्रत की शुरुआत एक दिन पहले 'नहाय-खाय' की परंपरा के साथ होती है। जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। नवमी को व्रत पारण करने की परंपरा है।
पितृपक्ष समापन (28 सितंबर, शनिवार)
अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृपक्ष समाप्त हो जाते हैं। यह दिन इस बार 28 सितंबर है।
शनैच्वरी अमावस्या (28 सितंबर, शनिवार)
आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही पितृपक्ष की समाप्ति के साथ-साथ शनैच्वरी अमावस्या भी है। इस दिन शनि को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए ताकि उनकी अच्छी कृपा हमेशा बनी रहे।
नवरात्र की शुरुआत (29 सितंबर, रविवार)
इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है। नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करने और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। यह त्योहर दशहरा के साथ खत्म होता है। इस दौरान 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।