Dussehra 2020: आज विजयादशमी पर क्या है ग्रहों की स्थिति? जानें आपके लिए क्या है खास
By गुणातीत ओझा | Published: October 25, 2020 12:08 PM2020-10-25T12:08:22+5:302020-10-25T12:09:29+5:30
सत्य पर असत्य की जीत का सबसे बड़ा त्यौहार दशहरा 25 अक्टूबर को मनाया जायेगा। विजयादशमी का त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
Vijayadashami 2020: सत्य पर असत्य की जीत का सबसे बड़ा त्यौहार दशहरा आज 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। विजयादशमी का त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आज के दिन अस्त्र-शस्त्र का पूजन और रावण दहन के बाद बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि भगवान राम के रावण का वध करने और असत्य पर सत्य की विजय के खुशी में इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन जगह जगह रावण दहन किया जाता है। कहा जाता है कि रावण के पुतले को जला हर इंसान अपने अंदर के अहंकार, क्रोध का नाश करता है। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि रावण का वध करने कुछ दिन पहले भगवान राम ने आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा की और फिर उनसे आशीर्वाद मिलने के बाद दशमी को रावण का अंत कर दिया।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि दशमी को ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। देशभर में अलग-अलग जगह रावण दहन होता है और हर जगह की परंपराएं बिल्कुल अलग हैं। इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है। इस दिन शमी के पेड़ की पूजा भी की जाती है। इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है। दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है। इस दिन माना जाता है कि अगर आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाए तो आपके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से पैसों और संपत्ति में बढ़ोतरी होती है। मान्यता है कि यदि दशहरे के दिन किसी भी समय नीलकंठ दिख जाए तो इससे घर में खुशहाली आती है और वहीं, जो काम करने जा रहे हैं, उसमें सफलता मिलती है।
रावण ज्योतिष का प्रखांड विद्वान था। अपने पुत्र को अजेय बनाने के लिए इन्होंने नवग्रहों को आदेश दिया था कि वह उनके पुत्र मेघनाद की कुंडली में सही तरह से बैठें। शनि महाराज ने बात नहीं मानी तो उन्हें बंदी बना लिया। रावण के दरबार में सारे देवता और दिग्पाल हाथ जोड़कर खड़े रहते थे। हनुमान जी जब लंका पहुंचे तो इन्हें रावण के बंधन से मुक्त करवाया।रावण के अशोक वाटिका में एक लाख से अधिक अशोक के पेड़ के अलावा दिव्य पुष्प और फलों के वृक्ष थे। यहीं से हनुमान जी आम लेकर भारत आए थे। रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे।
विजयादशमी पर ग्रहों की स्थिति
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि विजयादशमी पर चंद्रमा शाम 4 बजकर 57 मिनट तक मकर राशि से कुंभ राशि में गोचर करेगा। इसके अलावा सूर्य तुला राशि में, शुक्र कन्या राशि में, गुरू स्वराशि धनु में, शनि स्वराशि मकर में, बुध अपनी मित्र राशि तुला में वक्री रहेंगे। इसके अलावा मंगल अपनी मित्र राशि मीन में वक्री, केतु वृश्चिक राशि और राहु वृषभ राशि में रहेंगे।
पान देता है आरोग्य
विजयादशमी पर पान खाने, खिलाने तथा हनुमानजी पर पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है। पान मान-सम्मान, प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है। इसलिए विजयादशमी के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है। वहीं शारदीय नवरात्रि के बाद मौसम में बदलाव के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पान का सेवन पाचन क्रिया को मज़बूत कर संक्रामक रोगों से बचाता है।
शुभ दिन है मांगलिक कार्यों के लिए
विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक है इसलिए इस दिन सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें सफलता अवश्य मिलती है। यही वजह है कि प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की कामना से रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं, रामलीला का आयोजन होता है और रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्न प्राशन, नामकरण, कारण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। परन्तु विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार निषेध माना गया है। क्षत्रिय अस्त्र-शास्त्र का पूजन भी विजयादशमी के दिन ही करते हैं।