शिव अराधना के लिए उत्तम महीना 'मलमास', इन 7 उपायों से पाएं भोलेनाथ की कृपा
By गुलनीत कौर | Published: December 19, 2018 07:28 AM2018-12-19T07:28:36+5:302018-12-19T07:28:36+5:30
शास्त्रों के अनुसार तीन साल बाद एक बार आने वाले मलमास या अधिक मास को अशुभ महीना कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। मगर ज्योतिष विधा की मानें तो मलमास सूर्य के राशि परिवर्तन करने की वजह से लगता है।
16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से मलमास का अशुभ महीना प्रारंभ हो गया। 14 जनवरी को सूर्य की राशि बदलने के बाद ही यह महीना खत्म होगा और फिर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। तब तक के लिए शादी, गृहप्रवेश, किसी नए कार्य की शुरुआत नहीं की जाएगी। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना अशुभ होता है।
शास्त्रों में शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है लेकिन पूजा-अर्चना के लिए हमेशा ही श्रेष्ठ माना गया है। यह मास भगवान शिव की आराधना के लिए फलदायी होता है। शिवजी के अलावा इस महीने में विष्णु पूजा को भी महत्व दिया जाता है। अगर लंबे समय से आपके काम बन नहीं रहे हैं और आप सफलता चाहते हैं तो इस मलमास शिव अराधना करें। आगे बताए जा रहे उपायों को पूरे मन से करें।
- रुके हुए कार्यों को बनाना हो तो मलमास में पड़ने वाले हर सोमवार या मलमास महीने की मासिक शिवरात्रि को तेल से शिवलिंग अभिषेक करें
- संतान सुख से वंचित पति पत्नी मलमास में सोमवार या फिर मासिक शिवरात्रि पर शिव मंदिर जाएं और मिलकर शिवलिंग पर घी अर्पित करें
- आर्थिक रूप से तंगी चल रही हो तो मलमास के दौरान शिवलिंग की पूजा करें। गन्ने के रस से शिव अभिषेक करें और पूरे मन से शिव अराधना करें
- करियर में अड़चन आ रही हो या ऑफिस में माहौल सही ना चल रहा हो तो शिवलिंग पर जलधारा चढ़ाएं। भगवान शिव को जलधारा अत्यंत प्रिय है। ऐसा करें से बिगड़े हुए काम बनते हैं
- लंबे समय से रोग आपका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं तो शिवलिंग पर कच्चा दूध अर्पित करें। संभव हो तो इसके बाद कुछ गरीबों में दूध का दान भी करें। भगवान शिव की कृपा से आपको रोगों से छुटकारा मिलेगा
- विवाह बाधा को समाप्त करना हो तो शिवलिंग पर शहद चढ़ाएं। इसके बाद सच्चे मन से भगवान शिव से प्रार्थना करें। मलमास में हर सोमवार ऐसा करें, आपका काम जरूर बन जाएगा
- प्रत्येक सोमवार या मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करेंम। शिवलिंग पर पवित्र जल और दही अर्पित करें। आपको जिस भी कार्य में सफलता चाहिए उसके लिए प्रार्थना करें। शिव कृपा से आपका काम जरूर बनेगा
क्या है मलमास?
शास्त्रों के अनुसार तीन साल बाद एक बार आने वाले मलमास या अधिक मास को अशुभ महीना कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। मगर ज्योतिष विधा की मानें तो मलमास सूर्य के राशि परिवर्तन करने की वजह से लगता है।
क्यों पड़ा मलमास नाम?
शास्त्रों के अनुसार साल में 12 महीने होते हैं और अगर 12 से अधिक महीने आएं तो उसे 'मलिन' यानी अशुभ प्रभाव वाला माना जाता है। इसी कारण इस महीने का नाम मलमास पड़ा। लेकिन मलमास के लावा इस महीने को पुरुषोत्तम मास, अधिक मास, अतिरिक्त मास के नाम से भी जाना जाता है।