Dhanteras 2019: धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं सोना-चांदी या बर्तन? जानिए क्या है खास वजह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 18, 2019 07:25 AM2019-10-18T07:25:10+5:302019-10-25T09:25:44+5:30
प्रचीन कथाओं के अनुसार, देवताओं और दानवों के बीच समुंद्र मंथन के समय कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरी अमृत लेकर प्रकट हुए थे।
सनातन धर्म के कैलेंडर को पंचाग कहते हैं। पंचाग में 12 महीने होते है। एक महीने 30 के करीब दिन होते और एक दिन को एक तिथि कहा जाता है। धनतेरस भी एक तिथि है जो भगवान विष्णु के अंशावतार भगवान धन्वंतरि को समर्पित है। प्रचीन कथाओं के अनुसार, देवताओं और दानवों के बीच समुंद्र मंथन के समय कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरी अमृत लेकर प्रकट हुए थे।
धन्वंतरी अमृत को एक कलश में लेकर प्रकट हुए थे इसलिए उनके जन्मदिवस पर बर्तन या धातुएं खरीदने को शुभ माना गया। प्रचीन समय में लोग चांदी के बर्तन खरीदते थे। चांदी को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा शीतलता प्रदान करते हैं। शीतल प्रभाव में व्यक्ति का मन संतोष की अवस्था में जाता है। संतोष का धन की संज्ञा भी दी गई है। कहा जाता है कि जिसके पास संतोषरूपी धन है उसके पास दुनिया में सबकुछ है, कोई कमी नहीं है।
कहा जाता है कि इसी दिन समुंद्र मंथन में धन की देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं। इसलिए धनतेरस को लोग शुभकार्यों के देवता गणेश और धन की देवी लक्ष्मी जी की मूर्तियां भी खरीदते हैं और दिवाली के दिन उनकी पूजा करते हैं।
युग बदलने के साथ कई मान्यताओं में फर्क आया है लेकिन खरीददारी का गुण लोगों में बाकी रह गया। इसलिए बहुत से लोग बर्तन या धातुओं से बनी चीजें न खरीदकर और भी कई तरह की चीजें खरीदतें हैं। तक्नीकि विकास ने खरीददारी आसान बनाया है इसलिए लोग घर बैठें ऑनलाइन खरीददारी करते हैं। अगर धनतेरस की पौराणिक कहानी के अनुसार आप खरीददारी करना चाहते हैं और उससे भौतिक लाभ की उम्मीद करते हैं तो धातु से बने बर्तन या कोई चीज आप खरीद सकते हैं। सोनो या चांदी का सिक्का भी खरीद सकते हैं।