देवोत्थान एकादशी 2018: जीवन में प्रेम बनाए रखने के लिए कराएं तुलसी विवाह, रखें इन 4 बातों का ध्यान
By मेघना वर्मा | Published: November 19, 2018 09:13 AM2018-11-19T09:13:05+5:302018-11-19T09:13:05+5:30
Devutthana Ekadashi 2018(देवोत्थान एकादशी/तुलसी विवाह): बहुत से लोग फूल और अन्य सजावटी चीजों से तुलसी का मंडप सजाते हैं मगर आप मंडप को गन्ने से सजाए। ऐसा करना शुभ होता है।
हिन्दू मान्यताओं में तुलसी को बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है। लगभग हर घर में रोजाना तुलसी की पूजा और तुलसी को जल दिया जाता है। वहीं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी मनाई जाती है। जिसमें भगवान विष्णु रूपी शालीग्राम से तुलसी का विवाह करवाया जाता है। इस दिन की मान्यता ये है कि इस देवोत्थान या देवउठनी एकादशी में भगवान विष्णु चार महीने के बाद इसी दिन अपनी नींद से जागते हैं। इसी दिन से भारतीय समाज में शुभकार्य आरभं हो जाता है।
इस साल ये देवोत्थान या देव उठानी एकादशी 19 नवंबर को पड़ रही है। माना जाता है कि इस दिन तुलसी का विवाह कराने से शादी-शुदा जीवन में प्रेम और अटूटता आती है। दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। मगर इस तुलसी विवाह को करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूर है।
1. बीचों-बीच रखी हो तुलसी
तुलसी के विवाह को करते समय सबसे जरूर और अहम बात ये है कि तुलसी के पौधे को आंगन, छत या पूजास्थल के बीच में ही रखे। जिस तहर हमारे विवार का मंडप बीचों-बीच बनाया जाता है उसी तरह तुलसी पूजा और विवाह के चलते उसे बीच में ही रखें।
2. गन्ने से सजाएं मंडप
बहुत से लोग फूल और अन्य सजावटी चीजों से तुलसी का मंडप सजाते हैं मगर आप मंडप को गन्ने से सजाए। ऐसा करना शुभ होता है। इससे आपके शादी-शुदा जीवन में मिठास आती है। शादी के रिवाज शुरू करने से पहले तुलसी के पौधे पर चुनरी जरूर चढ़ाएं।
3. 11 बार करें तुलसी की परिक्रमा
तुलसी के गमले में शालीग्राम को रखकर चावल ना चढ़ाकर तिल चढ़ाएं। शादी के समय मंगलाष्टक जरूर पढे़। इसके बाद तुलसी विवाह के दौरान तुलसी और शालीग्राम की 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करना बेहद शुभ और लाभकारी माना गया है।
4. पटिए उठाकर जगाएं भगवान विष्णु को
विवाह के बाद सभी घर के सदस्य मिलकर पटिए को चारों ओर से उठाएं। इसके बाद भगवान विष्णु का आवाह्न करें। सभी मिलकर कहें कि हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभाले।