आज देवशयनी एकादशी है, इन कामों को करने से बचें, पड़ जाएंगे मुश्किल में
By गुणातीत ओझा | Published: July 1, 2020 01:41 PM2020-07-01T13:41:44+5:302020-07-01T13:55:36+5:30
भगवान विष्णु की साधना-आराधना के लिए एकादशी को सबसे शुभ तिथि माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह तक शयन के लिए क्षीर सागर चले जाते हैं।
Devshayani Ekadashi 2020: आज देवशयनी एकादशी व्रत है। आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली देवशयनी एकादशी आज मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर-सागर में शयन करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विष्णु इस दिन से पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करके कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। देवशयनी एकादशी अत्यंत पवित्र तिथि है। इस दिन तन-मन-धन की पवित्रता को बनाए रखने का पूरा प्रयास करना चाहिए। यह तिथि इतनी शुभ है कि मन, कर्म और वचन की थोड़ी सी अशुद्धि भी आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती है। आइये आपको बताते हैं आज के दिन किन कामों को करने से बचना चाहिए...
रात में नहीं सोना चाहिए
आज एकादशी की रात को सोने से भगवान विष्णु की कृपा नहीं बनती। देवशयनी एकादशी की पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के निकट बैठकर भजन करते हुए ही जागरण करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
पान नहीं खाना चाहिए
एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए एकादशी के दिन पान न खा कर व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए।
दूसरों की बुराई करने से बचें
आज के दिन दूसरों की बुराई भी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं। इसलिए एकादशी के दिन दूसरों की बुराई न करते हुए भगवान विष्णु का ही ध्यान करना चाहिए।
चुगली न करें
चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी किसी की चुगली नहीं करना चाहिए।
चोरी
चोरी करना पाप है। चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी चोरी जैसा पाप कर्म नहीं करना चाहिए।
हिंसा
एकादशी के दिन हिंसा करने की मनाही है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।
स्त्रीसंग
एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता। अतः एकादशी पर स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।
क्रोध
एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए। इससे मानसिक हिंसा होती है। अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए और मन शांत रखना चाहिए।
झूठ
झूठ बोलना व्यक्तिगत बुराई है। जो लोग झूठ बोलते हैं, उन्हें समाज व परिवार में उचित मान सम्मान नहीं मिलता। इसलिए सिर्फ एकादशी पर ही नहीं अन्य दिनों में भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
जुआ
जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई है। जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार व कुटुंब भी नष्ट हो जाता है। जिस स्थान पर जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का राज होता है। इसलिए सिर्फ आज ही नहीं बल्कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।