Devshayani Ekadashi 2019: देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्यों 4 महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं, जानिए कथा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 10, 2019 08:02 AM2019-07-10T08:02:17+5:302019-07-10T08:04:54+5:30
क्या आप जानते हैं हरिशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु आखिर क्यों निद्रा में चले जाते हैं? इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है? देवशयनी एकादशी इस साल 11 जुलाई को रात 3.08 बजे से 12 जुलाई की रात 1.55 मिनट तक रहेगा।
भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रतों में से देवशयनी एकादशी का बहुत महत्व है। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। इस साल एकादशी का ये व्रत 12 जुलाई को पड़ रहा है। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से इस जगत के पालनहार भगवान विष्णु पाताल लोक में निद्रा में चले जाते हैं। इस वजह से इस दिन के बाद अगले चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्य बंद कर दिये जाते हैं।
आषाढ़ मास से कार्तिक तक चार मास चतुर्मास कहे जाते हैं। कार्तिक मास में पड़ने देवउठनी एकादशी के बाद एक बार फिर मंगल कार्य शुरू कर दिये जाते हैं। वैसे, क्या आप जानते हैं हरिशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु आखिर क्यों निद्रा में चले जाते हैं? इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है? बता दें कि देवशयनी एकादशी इस साल 11 जुलाई को रात 3.08 बजे से 12 जुलाई की रात 1.55 मिनट तक रहेगा। इस दौरान प्रदोष काल शाम 5.30 से 7.30 तक होगा। साधक व्रत का पारण 13 जुलाई को सूर्योदय के बाद कर सकेंगे। शास्त्रों में देवशयनी एकादशी को सौभाग्य प्रदान करने वाली एकादशी बताया गया है।
Devshayani Ekadashi 2019: देवशयनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
कथा के अनुसार एक समय की बात है दैत्यराज बलि का पूरे जगत पर कब्जा था। इससे सभी देवता परेशान थे। हालांकि, दैत्यराज बलि के साथ एक अच्छी बात ये थी वह बहुत बड़ा दानी था और कोई भी उसके द्वार से खाली हाथ नहीं लौटता था। एक समय बलि यज्ञ और पूजा में लीन था तभी भगवान विष्णु वामन अवतार में उसके द्वार आये। बलि ने उनसे दान के लिए कुछ मांगने को कहा। इस पर वामन अवतार लिए भगवान विष्णु ने तीन पग भूमि दान में मांग ली।
बलि को अचरज हुआ कि भला तीन पग भूमि से क्या होगा। उसने एक बार फिर कुछ और दान मांगने के लिए कहा। वामन अवतार लिए भगवान ने फिर वही तीन पग भूमि की बात दोहराई। राजा बलि ये तीन पग भूमि देने के लिए तैयार हो गया। हालांकि, उसके आश्चर्य की सीमा न रही जब उनके सामने ब्राह्मण ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी और आकाश सहित सभी दिशाओं को नाप लिया। इसके बाद अगले पग में भगवान ने संपूर्ण स्वर्ग लोक को ले लिया और फिर पूछा तीसरा पग वे कहां रखें।
दैत्यराज बलि ये देख समझ गया कि ये भगवान विष्णु की कोई लीला है। उसने हाथ जोड़कर अपने आप को भगवान के सामने समर्पित किया और अपने सिर में उन्हें अपना पैर रखने को कहा। यह देख भगवान विष्णु बेहद खुश हुए और बलि को पाताल रोक का राजा घोषित करते हुए वर मांगने को कहा।
इसके बाद बलि ने भगवान विष्णु को उनके महल में निवास करने का आग्रह किया। बलि की भक्ति को देखते हुए भगवान ने यह वरदान दिया कि वे चार मास तक राजा बलि के महल में वास करेंगे। मान्यता है कि तभी से भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल लोक में दैत्यराज बलि के महल में निवास करते हैं।