Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: कब है देव उठनी एकादशी? चार माह बाद गहरी नींद से जागेंगे भगवान विष्णु
By रुस्तम राणा | Published: November 10, 2024 02:07 PM2024-11-10T14:07:24+5:302024-11-10T14:07:24+5:30
Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: इस साल देव उठनी एकादशी व्रत मंगलवार, 12 नवंबर को रखा जाएगा। यह पवित्र दिन भगवान विष्णु के चतुर्मास काल के दौरान चार महीने की लंबी नींद के बाद जागने का प्रतीक है।
Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी, देव उठनी एकादशी या देवउत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। 2024 में, देव उठनी एकादशी व्रत मंगलवार, 12 नवंबर को रखा जाएगा। यह पवित्र दिन भगवान विष्णु के चतुर्मास काल के दौरान चार महीने की लंबी नींद के बाद जागने का प्रतीक है। यह भक्ति, उपवास और अनुष्ठानों से भरा दिन है, और वैष्णव परंपरा का पालन करने वालों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है।
देव उठनी एकादशी मुहूर्त 2024
एकादशी तिथि प्रारंभ - नवम्बर 11, 2024 को 06:46 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 12, 2024 को 04:04 पी एम बजे
व्रत पारण मुहूर्त - नवम्बर 13, 2024 को 06:42 ए एम से 08:51 ए एम
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - नवम्बर 13, 2024 को 01:01 पी एम
प्रबोधिनी एकादशी: अर्थ
प्रबोधिनी शब्द का अर्थ है "जागना", और एकादशी चंद्र चक्र के ग्यारहवें दिन को संदर्भित करता है। इस दिन, ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु, जो मानसून के महीनों के दौरान ध्यान की नींद में थे, अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए जागते हैं। इसलिए, यह दिन विशेष रूप से वैष्णव धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत श्रद्धा और खुशी के साथ मनाया जाता है।
देव उठनी एकादशी व्रत विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें।
भगवान विष्णु जी के समक्ष दीप प्रज्जवलित करें। गंगा जल से अभिषेक करें।
विष्णु जी को तुलसी का पत्ता चढ़ाएं।
उन्हें सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
शाम को तुलसी के समक्ष दीप जलाएं।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत खोलें।
ब्राह्मणों को भोजन कराकर प्रसाद वितरण करें।
व्रत तोड़ने का समय
व्रत तोड़ने का आदर्श समय प्रातःकाल (सुबह जल्दी) है, लेकिन इसे मध्याह्न (दोपहर) के दौरान नहीं तोड़ना चाहिए। द्वादशी तिथि के पहले चरण हरि वासर के दौरान भी व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। सबसे अच्छा तरीका यह है कि व्रत समाप्त करने से पहले हरि वासर के समाप्त होने का इंतज़ार किया जाए।