Dev Uthani Ekadashi 2019: देवउठनी एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
By मेघना वर्मा | Published: November 8, 2019 07:28 AM2019-11-08T07:28:02+5:302019-11-08T07:28:02+5:30
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली देवउठनी या देवोत्थान एकादशी पर भगवान श्रीविष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।
देश भर में आज देवउठनी एकादशी की धूम है। हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु को पूजने के लिए एकादशी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। खासकर देवउठनी एकादशी का बेहद महत्व बताया जाता है। इस साल 8 नवंबर को देवउठनी एकादशी पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार माह की नींद से जागते हैं। साथ ही देव उठनी एकादशी के दिन से ही सारे शुभ काम फिर से शुरू हो जाते हैं।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली देवउठनी या देवोत्थान एकादशी पर भगवान श्रीविष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की नींद से जागते हैं। बताया तो ये भी जाता है कि इस दिन सभी देवता जागते हैं।
देवउठनी एकादशी पर बेहद शुभ संयोग
इस साल देवउठनी एकादशी के दिन बेहद शुभ संयोग पड़ रहा है। इस साल 8 नवंबर को देवउठनी एकादशी पड़ रही है। वहीं शास्त्रों के अनुसार जिस दिन सूर्योदय कालीन एकादशी तिथि हो और वह दो प्रहर तक लग रही हो उसी दिन एकादशी का व्रत करना चाहिए। इसीलिए आपको यह व्रत 8 नवंबर को ही करना चाहिए। इस दिन सूर्योदय होगा और 12 बजकर 55 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी।
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी 2019 तिथि देवउठनी एकादशी 2019 में कार्तिक मास की शुक्लपक्ष तिथि में 8 नवंबर 2019 को है।
देवउठनी एकादशी तिथि प्रारम्भ - सुबह 9 बजकर 55 मिनट से ( 7 नवम्बर 2019)
देवउठनी एकादशी तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 12 बजकर 24 तक (8 नवम्बर 2019)
देवउठनी एकादशी पूजा विधि
1. एकादशी के नियमों का पालन दशमी तिथि से करना चाहिए।
2. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पूरे घर की सफाई करनी चाहिए।
3. इसके बाद स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करना चाहिए।
4. एक साफ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें।
5. पूजा करने वाली जगह के चारों ओर विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं।
6. भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
7. उन्हें पीले कपड़े, पीले फूल, नवैद्य फल, मिठाई, बेर और गन्ना अर्पित करें।
8. अब भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें।
9. रात के समय घर के बाहर और पूजा स्थल पर दीया जलाएं।
10. इसके बाद प्रसाद को सभी में वितरित करें।