उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व छठ संपन्न

By भाषा | Published: November 14, 2018 12:20 PM2018-11-14T12:20:31+5:302018-11-14T12:20:31+5:30

उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों का भास्कर उपासना का महापर्व छठ बिहार में हर्षोल्लास के बीच बुधवार को संपन्न हो गया। मंगलवार की शाम को व्रतियों ने बिहार की राजधानी पटना में गंगा किनारे और राज्य के विभिन्न इलाकों में अन्य नदियों, तालाबों और जगह—जगह बनाए पानी के कुंड में खडे़ होकर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया था।

chhath puja celebration ends today | उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व छठ संपन्न

फोटो- पिक्साबे

उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों का भास्कर उपासना का महापर्व छठ बिहार में हर्षोल्लास के बीच बुधवार को संपन्न हो गया। मंगलवार की शाम को व्रतियों ने बिहार की राजधानी पटना में गंगा किनारे और राज्य के विभिन्न इलाकों में अन्य नदियों, तालाबों और जगह—जगह बनाए पानी के कुंड में खडे़ होकर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परिवार में भी महिलाओं ने छठ पर्व के अवसर पर व्रत रखा था। नीतीश ने अपने परिजनों के साथ मुख्यमंत्री आवास परिसर में बनाए गए पानी के कुंड में खडे़ होकर, व्रतियों को उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने में सहयोग किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री के रिश्तेदार तथा अन्य करीबी लोग उपस्थित थे। 

भगवान भास्कर की उपासना का महापर्व छठ गत 11 नवंबर को नहाय खाय के अनुष्ठान के साथ शुरू हुआ था। अगले दिन यानि 12 नवंबर को व्रतियों ने निर्जला उपवास रखकर खरना के तहत दूध, अरवा चावल तथा गुड़ से बनी खीर एवं रोटी के प्रसाद का भोग लगाया। फिर व्रतियों का 36 घंटों का निर्जला उपवास शुरू हुआ जो कल शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य तथा आज उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ पूरा हुआ। 

छठ पूजा में ढलते सूरज को क्यों देते हैं अर्घ्य, इसके पीछे छिपे हैं ये 2 कारण

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिवाली से ठीक 6 दिन बाद यानी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शाम ओ ढलते सूरज को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है। यह त्यौहार उत्तर भारत में बिहार समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी मनाया जाता है।  छठ का पर्व आस्था का पर्व है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है। छठ में सबसे पहले नहाया खाय, फिर खरना और इसके बाद तीसरे दिन ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि हिन्दू धर्म में जहां हमेशा उगते सूरज को अर्घ्य देने की प्रथा है, वहीं छठ पूजा में ढलते सूरज की पूजा क्यों की जाती है?

इसके पीछे ज्योतिष शास्त्र द्वारा कुछ तर्क दिए जाते हैं। जिसके अनुसार सूर्य देव को सुबह अर्घ्य देने से स्वास्थ्य सही रहता है। यदि दोपहर को अर्घ्य दिया जाए तो समाज में पद, प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ता है। शाम को ढलते सूरज को अर्घ्य देने से जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती है।

इसके अलावा शाम को सूरज को अर्घ्य देने से लंबे समय से चल रहे कानूनी मसलों से छुटकारा मिलता है। छात्रों को परीक्षा में सफलता दिलाने, पेट संबंधी रोगों से छुटकारा पाने, धन की कमी को दूर करने और मानसिक तकलीफों से छुटकारा पाने के लिए भी शाम को सूरज को अर्घ्य देना सहायक सिद्ध होता है।

Web Title: chhath puja celebration ends today

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