Chhath Puja History: छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?, क्या है छठी मैया की कहानी...
By संदीप दाहिमा | Updated: November 5, 2024 15:11 IST2024-11-05T15:11:40+5:302024-11-05T15:11:40+5:30
Chhath puja ki Kya Kahani Hai: छठ पूजा एक हिंदू पर्व है जो विशेष रूप से सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। इसे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, नेपाल और भारत के अन्य हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य सूर्य देव की आराधना कर उनके आशीर्वाद से संतान सुख, स्वास्थ्य, धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति करना है। सूर्य देव को ऊर्जा, जीवन और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है, और छठ पूजा के दौरान उनके प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट किया जाता है।

Chhath Puja History: छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?, क्या है छठी मैया की कहानी...
Chhath Puja Story in Hindi: छठ पूजा एक हिंदू पर्व है जो विशेष रूप से सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। इसे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, नेपाल और भारत के अन्य हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य सूर्य देव की आराधना कर उनके आशीर्वाद से संतान सुख, स्वास्थ्य, धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति करना है। सूर्य देव को ऊर्जा, जीवन और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है, और छठ पूजा के दौरान उनके प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट किया जाता है।
छठी मैया की कहानी और मान्यता
छठी मैया के बारे में कई कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
रामायण से संबंध: एक कथा के अनुसार, भगवान राम और सीता ने अपना वनवास समाप्त करने के बाद अयोध्या लौटकर सूर्य देव की उपासना की थी। सीता माता ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य देव की पूजा की थी और तब से यह पर्व मनाया जाने लगा।
छठी मैया का उद्गम: हिंदू शास्त्रों में छठी मैया को उषा के रूप में माना गया है, जो सूर्य देव की बहन हैं। उषा को संतान की रक्षक देवी माना गया है और वे बच्चों के जीवन में समृद्धि और सुख-शांति प्रदान करती हैं। इसलिए इस व्रत को करने से संतान सुख, दीर्घायु और स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
छठ पूजा के चार दिन
छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है, और इसमें व्रती सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पूजा के चरण इस प्रकार हैं:
नहाय-खाय: पहले दिन पवित्र स्नान करके शुद्ध भोजन किया जाता है।
खरना: दूसरे दिन उपवास रखा जाता है और शाम को गुड़ से बना खीर खाकर व्रत की शुरुआत होती है।
संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
उषा अर्घ्य: चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है।
छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य आस्था, परिवार के कल्याण और सूर्य देव व छठी मैया की कृपा प्राप्त करना है।