चैत्र नवरात्रि 2019: कल 13 अप्रैल को ही होगा अष्टमी-नवमी दोनों तिथियों का कन्या पूजन, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा के नियम
By गुलनीत कौर | Published: April 12, 2019 11:22 AM2019-04-12T11:22:22+5:302019-04-12T11:22:22+5:30
नवरात्रि में कन्या पूजन करने के पीछे मां वैष्णो देवी के भक्त श्रीधर की कथा प्रचलित है। श्रीधर की कोई संतान नहीं थी, किसी ने उसे चैत्र नवरात्रि में कन्याओं का पूजन करके उन्हने प्रसाद खिलाने को कहा। श्रीधर ने वैसा ही किया। उसने 9 कन्याएं बुलाईं जिसमें मां वैष्णों खुद भी उसे आशीर्वाद देने आई थीं।
नौ रातों का पर्व नवरात्रि जल्द ही समाप्त होने वाला है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत करने के बाद लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजा करके नवरात्रि व्रत का पारण करते हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार 6 अप्रैल 2019 से प्रारंभ हुए चैत्र नवरात्रि पर्व का समापन 14 अप्रैल की सुबह 6 बजे के बाद दशमी तिथि लगने पर होगा।
13 अप्रैल को कन्या पूजन (Kanya puja april 2019 date, time, significance)
पंडित जी ने बताया कि जो 12 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को सुबह 10:18 बजे से 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्य उदय 13 अप्रैल को हुआ है और सुबह ही 8:16 बजे नवमी तिथि भी शुरू हो जाएगी, इसलिए महाष्टमी और नवमी का व्रत एवं पूजन दोनों ही 13 अप्रैल को होगा।
नवरात्रि कन्या पूजन नियम (Things to do on Kanya pujan)
2 से 7 साल की कन्याएं
ख्याल रखें कन्याओं की उम्र 2 से 7 साल के बीच हो, कन्या पूजन सप्तमी, अष्टमी या नवमी में किसी भी दिन कर सकते हैं
बालक का आना जरूरी
ध्यान रखें कन्या पूजन में एक बालक को अवश्य आमंत्रीत करें कहा जाता है ऐसा न करने से कन्या पूजन पूरा नही हो पाता
पानी और दूध से धुलें पैर
कन्या पूजन से पहले उनका पैर पानी या दूध से जरूर धुलें ऐसा करने के बाद उनका पैर पोछकर उन्हें साफ जगह पर बैठाएं
तिलक लगाना न भूलें
कन्याओं के माथे पर कुमकुम, अक्षत और फूल का तिलक लगाना न भूलें
खीर पूड़़ी प्रसाद होना आवश्यक
कन्याओं को परोसे खाने में खीर पूड़़ी का प्रसाद होना आवश्यक है
विदाई के वक्त भेंट करें लाल चुनरी
खाने के पश्चात कन्याओं को लाल चुनरी, रूमाल, फल और खिलौने भेंट करके उनका आशिर्वाद लें और खुशी खुशी उन्हें विदा करें । अगर आप ऐसा करते हैं तो देवी माँ की कृपा हमेशा आप पर रहेगी।
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कन्या पूजन की क्या है कथा?
ऐसी मान्यता है कि माता के भक्त पंडित श्रीधर की कोई संतान नहीं थी एक दिन उन्होंने नवरात्र में कुंवारी कन्याओं को आमंत्रित किया जिसमे माँ वैष्णो भी आईं । सभी कन्याएं भोजन करने के बाद वहाँ से चली गईं परंतु देवी माँ वहीं बैठी रहीं।उन्होंने पंडित श्रीधर से कहा कि तुम एक भंडारे का आयोजन करो और उसमें पूरे गांव को आमंत्रित करो। इसमे भैरोनाथ भी आया और वहीं मां ने भैरोनाथ का अंत करने के साथ ही उसका उद्धार कर दिया।