चैत्र नवरात्रि अष्टमी, नवमी व्रत-पूजा आज, जानें मां महागौरी और सिद्धदात्री को प्रसन्न करने का शक्तिशाली मंत्र
By गुलनीत कौर | Published: April 13, 2019 07:18 AM2019-04-13T07:18:03+5:302019-04-13T07:18:03+5:30
नवरात्रि में व्रत का पारण कन्या पूजन के साथ होता है। लोगों की मान्यता के अनुसार अष्टमी और नवमी को कन्या पूजा की जाती है। पंडित दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार इस साल अष्टमी और नवमी पूजा एक ही दिन की जाएगी। साथ ही व्रत भी एक ही दिन माना जाएगा।
वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रि पर्व (चैत्र और शारदीय नवरात्रि) में नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है और दशमी तिथि पर समापन होता है। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार 6 अप्रैल 2019 से प्रारंभ हुए चैत्र नवरात्रि पर्व का समापन 14 अप्रैल की सुबह 6 बजे के बाद दशमी तिथि लगने पर होगा।
नवरात्रि में व्रत का पारण कन्या पूजन के साथ होता है। लोगों की मान्यता के अनुसार अष्टमी और नवमी को कन्या पूजा की जाती है। पंडित दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार इस साल अष्टमी और नवमी पूजा एक ही दिन की जाएगी। साथ ही व्रत भी एक ही दिन माना जाएगा। परिणाम स्वरूप अष्टम दिन की देवी मां महागौरी और नवमी की देवी मां सिद्धदात्री की पूजा एक साथ की जाएगी।
अष्टमी, नवमी 2019 तिथि, समय
पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार 12 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को सुबह 10:18 बजे से 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्य उदय 13 अप्रैल को हुआ है और सुबह ही 8:16 बजे नवमी तिथि भी शुरू हो जाएगी, इसलिए महाष्टमी और नवमी का व्रत एवं पूजन दोनों ही 13 अप्रैल को होगा।
अष्टमी की देवी मां महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन मां के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार महागौरी को 8 साल की उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं को आभास हो गया था। उन्हें यह ज्ञात हुआ कि उनका रिश्ता भगवान शिव से है और उन्हें पाने के लिए महागौरी ने तपस्या शुरू कर दी थी। यही कारण है कि महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की विशेष पूजा और दुर्गासप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ विशेष फलदायी होता है।
मां महागौरी पूजा विधि, मंत्र
मां को शक्ति के लिए पूजा जाता है। इनके पूजन में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। साथ ही इस दिन बहुत से लोग कन्यापूजन भी करते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए मंत्र इस प्रकार है - ''श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥''
नवमी की देवी मां सिद्धदात्री
हिन्दू धर्म में नवरात्रि के 9वें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से सारी सिद्धियां प्राप्त हो जाती है। देवी सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का रूप भी बताया जाता है। यही कराण है कि बुद्धि और बल के लिए भी इनकी पूजा की जाती है। हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियां प्राप्त की थीं।
मां सिद्धदात्री पूजा विधि, मंत्र
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार जो भी भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं उन्हें नवमी के दिन निर्वाण चक्र का भेदन करना होता है। इस तिथि पर विशेष हवन किया जाता है। हवन करते समय सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुती देनी होती है जिसके अन्त में मां सिद्धिदात्री के नाम की आहुती दी जाती है। देवी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करें - ''ऊॅं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नमः ।।''