चैत्र नवरात्रि 2018: जानें अष्टमी-नवमी तिथि, शुभ मुहूर्त एवं कन्या पूजन का महत्व
By धीरज पाल | Published: March 24, 2018 05:38 PM2018-03-24T17:38:30+5:302018-03-24T17:38:30+5:30
कन्या पूजन के लिए दस वर्ष तक की नौ कन्याओं की आवश्यकता होती है। इन नौ कन्याओं की लोग मां दुर्गा का रूप समझकर पूजा करते हैं।
इस वक्त चैत्र नवरात्रि चल रही है। इस बार नवरात्रि नौ दिनों तक की नहीं बल्कि आठ दिन की थी। लोग नवरात्रि की अष्ठमी और नवमी की तिथि को लेकर परेशान हैं। ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार नवमी तिथि का क्षय हो रहा है इसलिए इस बार अष्ठमी और नवमी एक दिन पड़ रही है। आज के दिन (24 मार्च) को उदय कालीन सप्तमी तिथि है, परंतु सुबह 9:26 के बाद अष्टमी तिथि लग चुकी है। वैसे कल नमवी है तो इस दिन को रामनवमी के रूप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जन्म हुआ था जिसके उपलक्ष्य में रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है।
अष्टमी और नवमी का शुभ मुहूर्त
जैसा कि इस बार की नवरात्रि 8 दिनों की है। नवरात्रि का अंतिम दिन 25 मार्च को है। वैसे तो आज उदय कालीन सप्तमी तिथि है परंतु सुबह 09:26 के बाद अष्टमी तिथि लग गयी है जो कल सुबह 07:03 बजे तक ही विद्यमान रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि प्रारम्भ होकर रात में 04:39 बजे तक ही नवमी तिथि व्याप्त रहेगी ,उसके बाद दशमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगा।
यह भी पढ़ें- ये 5 गिफ्ट आइटम भेंट में दें कन्याओं को, खुशी से देंगी आशीर्वाद
इस प्रकार कल 25 मार्च को ही महाअष्टमी का व्रत भी अनुदाय नवमी के साथ 25 मार्च को ही होगा। प्रथम एवं अन्तिम व्रत रखने वाले भी 25 को ही व्रत रहेंगे। नवरात्र का पारण 26 मार्च को प्रातः काल किया जाएगा। इसलिए आज ही सारी तैयारी करनी पड़ेगी, हवन भी कल ही होगा, कन्या भोज इत्यादि सभी कार्य कल ही हो जाएंगे। वैसे अष्टमी को माँ महागौरी की पूजा की जाती है और नवमी को माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवमी को कन्या पूजन की परंपरा होती है।
नवमी को कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन की बेहद महत्व माना जाता है। पौराणिक काल से ही कन्याओं को देवी का दर्जा मिला है। धार्मिक मान्यता के अनुसार 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्या कुमारी पूजा के लिए उपयुक्त होती हैं। भविष्य पुराण और देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र पर्व के अंत में कन्या पूजन जरूरी माना गया है। कन्या पूजन के बिना नवरात्र व्रत को अधूरा माना जाता है। कन्या पूजन अष्टमी या नवमी में से किसी एक दिन करना श्रेष्ठ माना जाता है।
कन्या पूजन के लिए दस वर्ष तक की नौ कन्याओं की आवश्यकता होती है। इन नौ कन्याओं की लोग को मां दुर्गा के नौ रूप समझकर ही पूजा करनी चाहिए। कन्या पूजन के लिए सबसे पहले व्यक्ति तो प्रातः स्नान कर विभिन्न प्रकार का भोजन(पूरी ,हलवा, खीर, भुना हुआ चना आदि) तैयार कर लेना चाहिए। सभी प्रकार के भोजन में से पहले मां दुर्गा को भोग लगाना चाहिए।