Chaitra Navratari 2020 Day 9: जब देवों के तेज से प्रकट हुई थीं मां सिद्धिदात्री, महानवमी पर पढ़िए पौराणिक व्रत कथा-जानिए पूजा विधि

By मेघना वर्मा | Published: April 2, 2020 10:11 AM2020-04-02T10:11:29+5:302020-04-02T10:11:29+5:30

Chaitra Navratari 2020 Day 9:सिद्धियों की प्राप्ति के लिए सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि देव, गंदर्भ, असुर, ऋषि आदि को भी भी मां सिद्धिदात्री की पूजा करनी पड़ती है।

Chaitra Navratari 2020 Day 9: maa siddhidatri puja vidhi mantra muhurat kahani vrat katha in hindi | Chaitra Navratari 2020 Day 9: जब देवों के तेज से प्रकट हुई थीं मां सिद्धिदात्री, महानवमी पर पढ़िए पौराणिक व्रत कथा-जानिए पूजा विधि

Chaitra Navratari 2020 Day 9: जब देवों के तेज से प्रकट हुई थीं मां सिद्धिदात्री, महानवमी पर पढ़िए पौराणिक व्रत कथा-जानिए पूजा विधि

Highlightsबताया जाता है कि देवी दुर्गा का ये रूप सभी देवों के तेज से प्रकट हुआ था।प्राचीन कहानियों की मानें तो भगवान शंकर ने इन्हीं देवी की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था।

चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व का आज नौंवा दिन है। इस दिन मां के स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मांड की शुरुआत में भगवान भोलेनाथ ने देवी की आदि पराशक्ति की अराधना की थी। तभी भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं। 

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में महानवमी 2 अप्रैल को पड़ रही है। इसी दिन दोपहर के बाद से नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। देवी के इस नौवें रूप को शक्ति स्वरूप माना गया है। जो सिद्धियों की देवी हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त देवी दु्र्गा के इस रूप की उपासना करता है वो सारी सिद्धियों को प्राप्त करता है। 

भय और शोक से मिलती है मुक्ति

इस सृष्टि में कुछ भी अगम्य नहीं रह जाता। ब्रह्मांड पर पूरे विजय प्राप्त करने के का सामर्थय  मां के भक्तों में आ जाता  है। सिद्धियों की प्राप्ति के लिए सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि देव, गंदर्भ, असुर, ऋषि आदि को भी भी मां सिद्धिदात्री की पूजा करनी पड़ती है। मान्यता ये भी है कि मां का ये नौवां स्वरूप शोक, रोग और भय से मुक्ति भी देता है। आइए आपको बताते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व-

मां सिद्धिदात्री की पौराणिक कथा

प्राचीन कहानियों की मानें तो भगवान शंकर ने इन्हीं देवी की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। संसार में सभी वस्तुओं को सहजता से प्राप्त करने के लिए देवी के नवें रूप की उपासना की जाती है।  बताया जाता है कि इस सिद्धिदात्री देवी की वजह से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ। इसी के कारण उन्हें अर्दधनारीश्वर नाम से बुलाया जाता है। 

देवों के तेज से हुईं थी प्रकट

बताया जाता है कि देवी दुर्गा का ये रूप सभी देवों के तेज से प्रकट हुआ था। असुर महिषासुर के अत्याचार से परेशा होकर सभी देवगण ने भगवान भोले और विष्णु के समक्ष सहायता मांगी। तब वहां उपस्थित सभी देवगणों से एक-एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें सिद्धिदात्री के नाम से जाना गया। 

ऐसे  करें पूजा

1. नवरात्रि के नौवें दिन विशेष हवन किया जाता है तो इस दिन सुबह नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा घर में माता की चौकी पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ती या तस्वीर रखें। 
3. अब देवी को धूप, दीप, नवैद्य दिखाकर उनकी उपासना करें। 
4. इसके बाद देवी को भोग चढ़ाएं। 
5. पूजा घर में ही माता के नाम की आहुति दें।


6. दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र को आहुति दी जा सकती है।
7. इसके बाद भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करें।
8. अंत में आरती गावें और फिर चढ़ाएं हुए प्रसाद का वितरण करें।

मां सिद्धिदात्री का मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरप।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

Web Title: Chaitra Navratari 2020 Day 9: maa siddhidatri puja vidhi mantra muhurat kahani vrat katha in hindi

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