Chaiti Chhath Puja: छठी मैया कौन हैं, क्या है इनसे जुड़ी कथा और बिहार से क्यों है छठ का विशेष संबंध, जानिए
By विनीत कुमार | Published: March 20, 2020 01:37 PM2020-03-20T13:37:57+5:302020-03-20T13:38:14+5:30
Chaiti Chhath Puja: बिहार और पूर्वांचल इलाकों में छठ का बहुत महत्व है। यहां इसे एक लोकपर्व की तरह देखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि छठी मैया की पूजा करने से घर-परिवार में सुख और शांति आती है।
Chaiti Chhath Puja 2020: चैती छठ की शुरुआत इस बार 28 मार्च से हो रही है। चार दिनों तक चलने वाले लोकआस्था के इस महापर्व को साल में दो बार किया जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार एक छठ व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष में किया जाता है।
यह व्रत मुख्य रूप से बिहार और पूर्वांचल के हिस्सों में मनाया जाता है। हालांकि, अब ये दुनिया के कई हिस्सों में मनाया जाने लगा है। इस व्रत में शुद्धता का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है और घर भी धन-धान्य से भरा होता है।
Chaiti Chhath Puja: छठी व्रत में किसकी होती है पूजा, कौन हैं छठी मैया
छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ माई सूर्य देवता की बहन हैं। इसलिए इन दिनों में सूर्य की उपासना सहित छठी मैया की उपासना करनी चाहिए। इससे छठी मैया खुश होती हैं और साधक के घर-परिवार में सुख और शांति प्रदान करती हैं।
दरअसल, मान्यताओं में प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को देवसेना कहा गया है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी का एक प्रचलित नाम षष्ठी है। षष्ठी देवी को ही ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है। षष्ठी देवी को ही स्थानीय बोली में छठ मैया कहा गया है। इनका एक नाम कात्यायनी भी है और इनकी पूजा नवरात्र में होती होती है।
Chaiti Chhath Puja: छठ व्रत कथा क्या है
छठ पूजा में मुख्य रूप से अर्ध्य देने की परंपरा है। हालांकि, छठी मैया की महिमा से जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थे। इसलिए वे हमेशा परेशान और दुखी रहते थे। ऐसे में महर्षि कश्यप ने राजा को यज्ञ कराने को कहा।
इस यज्ञ के प्रताप से महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। वह हालांकि मरा हुआ था। इसे देख राजा बहुत दुखी हुई।
राजा का दुख देखकर एक दिव्य देवी प्रकट हुईं और मृत बालक को जीवित कर दिया। राजा इससे बहुत खुश हुए और षष्ठी देवी की स्तुति की। इससे बाद से छठी मैया की पूजा की परंपरा शुरू हुई।
Chaiti Chhath Puja: छठ पूजा का बिहार से विशेष संबंध क्यो?
बिहार और पूर्वांचल इलाकों में छठ का बहुत महत्व है। छठ व्रत को बिहार में एक लोकपर्व का दर्जा हासिल है। ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार में इस व्रत का इतना महत्व क्यों है। दरअसल, बिहार में सूर्य पूजा सदियों से प्रचलित है। सूर्य पुराण में भी बिहार में स्थित सूर्य देव के मंदिर का जिक्र है। बिहार का जुड़ाव सूर्यपुत्र कर्ण से भी बताया जाता है।
दुर्योधन ने कर्ण को अंग प्रदेश का राजा बनाया था। ये अंग प्रदेश आज के पूर्वी बिहार से मिलता-जुलता क्षेत्र है। सूर्य देव से जुड़ाव के कारण भी बिहार में सूर्य देवता में लोगों की आस्था सदियों से रही है। इन सबके बीच सबसे खास बिहार के औरंगाबाद में स्थित सूर्य मंदिर है। इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर है जबकि आम तौर सूर्य मंदिर के द्वार पूरब दिशा की ओर होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था।