चैती छठ 2018: चार दिवसीय पर्व चैती छठ शुरू, जानें क्या है महत्व व व्रत नियम

By धीरज पाल | Published: March 21, 2018 04:04 PM2018-03-21T16:04:12+5:302018-03-21T16:04:12+5:30

चैती छठ का पर्व मुख्य रूप से सूर्य देव की आराधना के रूप में मनाया जाता है। इसका महत्व पूर्वी भारत के साथ उत्तर भार में सबसे अधिक है।

Chaiti Chhath Puja 2018 begins today, know it's importance, mahatva, significance and puja vidhi | चैती छठ 2018: चार दिवसीय पर्व चैती छठ शुरू, जानें क्या है महत्व व व्रत नियम

चैती छठ 2018: चार दिवसीय पर्व चैती छठ शुरू, जानें क्या है महत्व व व्रत नियम

पूर्वी भारत का सबसे लोकप्रिय त्योहार चैती छठ आज (21 मार्च) से शुरू हो गया है। यह त्योहार चार दिनों तक चलेगा। इस त्योहार का हिंदू धर्म में बेहद महत्व है जिसे बड़े ही लोक पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक छठ का पर्व हर साल दो बार पड़ता है। चैत्र में पड़ने वाले त्योहार को 'चैती छठ' कहा जाता है और कार्तिक मास में पड़ने वाली पर्व को छठ पूजा कहते हैं।

इस बार चैत्र मास में पड़ने वाली चैती छठ 21 मार्च से शुरु हुआ जो 24 मार्च तक चलेगा। चैती छठ के पहले दिन की शुरुआत नहाय खाय के साथ हुआ। इस दौरान पूर्वी और उत्तरी भारत के भारी संख्या में लोग पवित्र नदी गंगा या तालाब में स्नान किया। 

चैती छठ का महत्व

चैती छठ का बेहद ही महत्व होता है। दरअसल चैती छठ का पर्व मुख्य रूप से सूर्य देव की आराधना के रूप में मनाया जाता है। इसका महत्व पूर्वी भारत के साथ उत्तर भार में सबसे अधिक है। कहा जाता है कि भगवान राम जब माता सीता से स्वंयबर करके घर लौटे थे और उनका राज्याभिषेक किया गया था। उस दौरान उन्होंने चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पूरे परिवार के साथ पूजा की थी। तभी से इसका महत्व बना है। हालांकि इसे मनाने के पीछे कई किंवदंती माना जाता है। 

यह भी पढ़ें- चैत्र नवरात्रि 2018: कर्ज मुक्ति के लिए नवरात्र में जरूर अपनाएं ये सरल उपाय

लोक आस्था का पर्व 

पारिवारिक सुख-समृद्धी और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग पूरे दिन व्रत रहते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथ प्रचलित है। मान्यता है कि जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब श्री कृष्ण द्वारा बताए जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है।

इसे भी पढ़ें- चैत्र नवरात्रि विशेष: देवी दुर्गा के इन रूपों के नाम पर पड़ा है भारत के इन शहरों का नाम 

चैती छठ की पूजा-विधि

चार दिनों तक चलने वाला चैती छठ के पहले दिन ही सूर्योदय के पूर्व पवित्र नदियों का स्नान किया  जाता है। इसके बाद भी भोजन ग्रहण किया जाता है। भोजन में कद्दू खाने का महत्व पुराण में भी मिलता है। ग्रामीण इलाकों में इस पर्व का खासा महत्व देखा जाता है। महिलाओं से लेकर पुरुष सभी इस पर्व का हिस्सा बनते हैं। दूसरे दिन खरणा होता है। इस दिन बिना कुछ खाए प्रसाद तैयार करने करने का विधान है। छठी के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। पूजा सम्पूर्ण करने के पश्चात कच्चे दूध का शर्बत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत सम्पूर्ण किया जाता है।

क्या है व्रत नियम

1. चैती छठ पर घर की महिलाएं और पुरुष दोनों रखते हैं। 
2. चैती छठ के दौरान लोगों को नए कपड़े पहनते हैं। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पजामा पहन सकते हैं। 
3. चार दिनों तक व्रत रखने वालों को धरती पर सोना चाहिए। बिस्तर में कंबल और चटाई का प्रयोग कर सकते हैं। 
4. इस दौरान घर में प्याज, लहसून और मांस के सेवन से बिल्कुल बचें। 
5. सुबह शाम छठी मईया के भजन करने चाहिए।   

Web Title: Chaiti Chhath Puja 2018 begins today, know it's importance, mahatva, significance and puja vidhi

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे