कौन हैं हनुमान? पौराणिक कथाओं में दर्ज है उनकी धर्म-जाति का पूरा सच, जानें हनुमान परिवार के बारे में
By गुलनीत कौर | Published: December 21, 2018 12:14 PM2018-12-21T12:14:36+5:302018-12-21T12:14:36+5:30
'एकनाथ भावार्थ रामायण' में दर्ज एक कथा के अनुसार हनुमान वायु देव के पुत्र थे। इसलिए उन्हें पवनपुत्र के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
कभी दलित, फिर मुस्लिम और अब हनुमान जी को जाट समुदाय का बताया जा रहा है। भगवान हनुमान के नाम और धर्म को लेकर हर जगह राजनीति हो रही है। राजनीति में अहम मुद्दों को छोड़कर, जैसे कि बिजली, पानी, रोटी, रहन-सहन की जरूरतों को दरकिनार करके लोग हनुमान जी की धर्म और जाति पर बातें बना रहे हैं। ताजा दावे के मुताबिक बजरंगबली जाट समुदाय के थे। क्यों? क्योंकि उनमें गुस्सा था और वे बिना किसी भय के शत्रु का विनाश कर देते थे। कुछ ऐसा ही रवैया जाटों का भी होता है।
ये सभी दावे ताजा ख़बरों के मुताबिक सामने आए हैं। मगर क्या आप हनुमान जी का इतिहास जानते हैं? वे किसके पुत्र थे? हनुमान के पिता का क्या नाम था? हनुमाना की माता कौन थीं? हनुमान के परिवार में कौन कौन था? उनका किन देवताओं और जातियों से नाता था? आइए पुराणों में दर्ज कुछ कहानियों की मदद से जान्ने की कोशिश करते हैं।
कौन थे हनुमान के पिता?
भगवान हनुमान का जन्म वानर रूप में हुआ था। उनके पिता का नाम केसरी था, जो कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक बृहस्पति देव के पुत्र थे। हनुमान की माता 'अंजनी' एक अप्सरा थीं जो एक श्राप के चलते वानर रूप में धरती पर अपनी जीवन व्यतीत कर रही थीं। हनुमान का जन्म माता अंजनी की कोख से भगवान शिव से मिले वरदान के परिणाम से हुआ था।
भगवान हनुमान का जन्म
अंजनी एक अप्सरा की पुत्री थी मगर एक ऋषि से मिले श्राप की वजह से वे धरती पर आ गई और एक साधारण वानर स्त्री के रूप में जीवन व्यतीत करने लगी। एक पुत्र को जन्म देने के बाद ही वह श्राप से मुक्त हो सकती थी। धरती पर आकर अंजनी का विवाह वानरों के राजा केसरी से हुआ। दोनों ने मिलकर भगवान शिव की अराधना की और वरदान हेतु अंजनी को पुत्र रूप में 'मारुति' (हनुमान) की प्राप्ति हुई। इस तरह हनुमान शिव के अंश बताए जाते हैं।
वायु देव के पुत्र हनुमान
'एकनाथ भावार्थ रामायण' में दर्ज एक कथा के अनुसार हनुमान वायु देव के पुत्र थे। इसलिए उन्हें पवनपुत्र के नाम से भी संबोधित किया जाता है। कथा के मुताबिक त्रेता युग में राजा दशरथ पुत्रों की प्राप्ति के लिए महायज्ञ (वायु देव को समर्पित) करवा रहे थे। उस यज्ञ में खास प्रकार का प्रसाद 'पयासम' तैयार किया गया था। यह प्रसाद राजा की तीनों पत्नियों को ग्रहण करना था।
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मगर अचानक ही एक पक्षी आया और उसने अपने पंजों में इस पवित्र प्रसाद का कुछ भाग दबोच लिया और वहा उड़ गया। वह पंछी उस जंगल के ऊपर से गुजरा जहां माता अंजनी तपस्या आकार रही थीं। उसके पंजों से प्रसाद छोट आज्ञा और सीधा माता अंजनी के हाथों में जाकर गिरा। अंजनी ने उसे शिव का प्रसाद समझ ग्रहण कर लिया। यही कारण है कि वायु देव को हनुमान का पिता बताया जाता है। और इसलिए हनुमान में वायु की तरह उड़ने की चमत्कारी शक्ति भी थी।
भगवान हनुमान का परिवार
केसरीनंदन हनुमान राजा केसरी और माता अंजनी की ज्येष्ठ संतान थे। उनके बाद केसरी और अंजनी के पांच पुत्र और हुए। इनके नाम इस प्रकार हैं - मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान। इन सभी का विवाह हुआ था और धार्मिक ग्रंथों में इनकी संतानों का उल्लेख भी मिलता है। पौराणिक कथाओं में भगवान हनुमान की संतान को 'मकरध्वज' के नाम से जाना जाता है।