बलराम जयंतीः आज क्यों जरूरी है भैंस के दूध का सेवन? जानें महत्व
By गुणातीत ओझा | Published: August 9, 2020 04:46 PM2020-08-09T16:46:19+5:302020-08-09T16:46:19+5:30
आज बलराम जयंती के दिन मान्यता है कि हल के उपयोग से पैदा की गई फसल से बने व्यंजन का सेवन नहीं करना चाहिए। आज के दिन भैंस के दूध का सेवन करने का विशेष महात्म बताया गया है।
आज बलराम जयंती के दिन मान्यता है कि हल के उपयोग से पैदा की गई फसल से बने व्यंजन का सेवन नहीं करना चाहिए। आज के दिन भैंस के दूध का सेवन करने का विशेष महात्म बताया गया है।
आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस दिन बलराम जयंती मनाई जाती है। इसे हल षष्ठी, कमरछठ, हरछठ और चंद्रषष्ठी के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन बलराम जी को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय शस्त्र हल और मूसल की पूजा का विशेष महात्म बताया गया है। मान्यता है कि बलराम जयंती के दिन भैंस के दूध का सेवन करने से शुभ फल मिलता है। भैंस के दूध से बने व्यंजनों का ग्रहण करना शुभ माना गया है।
मान्यता यह भी है कि बलराम जयंती के दिन हल के उपयोग से तैयार की गई फसल से बने व्यंजनों को नहीं खाना चाहिए। पसहर चावल यानि स्वयं उग आए चावलों की खीर बनाने की भी मान्यता है। पांच प्रकार की पत्तेदार सब्जियों से सब्जी बनाई जाती है। माताएं पुत्र की बल वृद्धि और दीर्घायु के लिए इस दिन षष्ठी पूजा करती हैं।
भगवान बलराम श्रीकृष्ण के बड़े भाई हैं। माता देवकी ने कंस द्वारा छह संतानों के वध से दुखी होकर षष्ठी मां की पूजा की। इससे बलराम दीर्घायु और बलवान हुए। बलराम भारतीय संस्कृति में कृषि पालकों और पशु पालकों के प्रतिनिधि प्रतीक हैं। उनके जैसे बलवान और समर्थ पुत्र की इच्छा को लेकर महिलाएं षष्ठी मां की पूजा करती हैं। भैंस के दूध के प्रयोग से बनी चीजों से देवी की पूजा की जाती है।
भारतीय संस्कृति में गाय को सर्वश्रेष्ठ और पूज्यनीय माना गया है। वे कामधेनु हैं। योगेश्वर श्रीकृष्ण गोपाल कहे जाते हैं। उतनी ही महत्ता भैंस की भी हमारी संस्कृति में है, उसका दूध बलवर्धक और वीर्य वर्धक होता है। यम देव का वाहन भैंसा है, इस प्रकार यह दीर्घायु का प्रतीक भी है। हल षष्ठी को सभी को भैंस के दूध का सेवन और स्वतः उग आई वनस्पति से तैयार व्यंजनों को ग्रहण करना चाहिए।