Bakrid 2020: आज है बकरीद, जानें इसका इतिहास और धार्मिक मान्यता, जानें इस त्योहार के बारे में सबकुछ
By गुणातीत ओझा | Published: July 31, 2020 04:38 PM2020-07-31T16:38:50+5:302020-08-01T11:58:45+5:30
Bakrid 2020 इस्लाम में बकरीद का विशेष महत्व होता है। इस्लाम के अनुसार बकरीद के दिन अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दी जाती है।
Bakrid 2020:इस्लाम में बकरीद पर्व का विशेष महत्व होता है। इस दिन अपनी सबसे ज्यादा प्यारी चीज की कुर्बानी दी जाती है। भारत के साथ-साथ देश-विदेश में भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। बकरीद के दिन मस्लिम समुदाय के लोग नमाज अता कर बकरे की कुर्बानी देते हैं। इस्लाम अनुसार बकरीद के दिन अपनी सबसे प्यारी चीज को अल्लाह की राह में खर्च करना चाहिए। यानी उस चीज को नेकी और भलाई के कार्य में खर्च करना चाहिए। आइये आपको बताते हैं इस दिन अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने के बजाय बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती है...
जानें बकरीद की कुर्बानी की कहानी
इस्लाम धर्म में कुर्बानी तेने की परंपरा पैगंबर हजरत इब्राहिम ने शुरू की थी। मान्यताओं के अनुसार, इब्राहिम अलैय सलाम की कोई संतान या औलाद नहीं थी। इन्होंने औलाद के लिए कई मिन्नतें मांगी। अल्लाह ने उनकी मिन्नतें सुनकर उन्हें औलाद दी। हजरत इब्राहिम ने इस बच्चे का नाम इस्माइल रखा। हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल से बेहद प्यार करते थे। इसी बीच एक रात ऐसी आई जब अल्लाह ने इब्राहिम से कहा कि उसे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देनी होगी। तो इब्राहिम ने एक-एक कर अपने जानवरों की कुर्बानी दी। इसके बाद भी अल्लाह उसके सपने में आए और उन्होंने फिर से उसे आदेश दिया कि उसे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देनी होगी।
हजरत इब्राहिम को अपने बेटे से बेहद प्यार था। अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल कुर्बानी देने को तैयार कर दिया। अपनी बेटे की हत्या न देख पाए इसलिए उसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। फिर उसने अपने बेटे की कुर्बानी दे दी। कुर्बानी देने के बाद जब उसने अपनी आंखें खोली तो देखा कि उसका बेटा तो जीवित है। वह यह दृश्य देखकर हैरान रह गया। अपने बेटे को जीवित देख वो बेहद खुश हुआ। अल्लाह ने इब्राहिम की निष्ठा देख उसके बेटे की जगह बकरा रख दिया था। बस तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि लोग बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देते हैं। साथ ही बकरों की कुर्बानी देकर लोग इब्राहिम द्वारा दी गई कुर्बानी को याद करते हैं।