कामाख्या मंदिर के पास जुटने लगे तांत्रिक और साधु-संत, 22 जून से इतने दिनों के लिए होगा बंद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 21, 2019 09:22 AM2019-06-21T09:22:47+5:302019-06-21T09:22:47+5:30
कामाख्या देवी मंदिर को तंत्र साधना का विशेष स्थान भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार तांत्रिको के लिए अम्बूवाची मेले के दौरान सिद्धि प्राप्ति का समय सबसे अनमोल होता है।
आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश के साथ ही 22 जून से असम की राजधानी गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर के दरवाजे अगले तीन दिनों के लिए बंद हो जाएंगे। इस दौरान मंदिर के गर्भ-गृह में पूजा-अर्चना नहीं होती है। ऐसी मान्यता है कि देवी सती इन दिनों में रजस्वला रहती हैं।
इस बीच 22 से 26 जून के बीच यहां पांच दिवसीय अंबूवाची मेले का भी आयोजन होता है। हर साल यहां सांधु-संत समेत तंत्र-मंत्र करने वाले तांत्रिक और साधक इस मेले में आते हैं। कामाख्या देवी मंदिर दरअसल देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है। श्रीमद् देवी पुराण और शक्तिपीठांक के अनुसार इस जगह पर देवी सती का योनि भाग गिरा था।
कामाख्या मंदिर की क्या है कहानी
कामाख्या मंदिर देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि देवी सती के देह त्याग के बाद भगवान शिव गुस्से में उनके शव को लेकर तांडव करने लगे। पूरे ब्रह्मांड में प्रलय की आशंक से सभी देवी-देवता डर गये और भगवान विष्णु के पास पहुंचकर उन्हें शिव को शांत कराने का आग्रह किया।
ऐसे में विष्णु ने शिव का मोहभंग करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े कर दिये। ये टुकड़े धरती में विभिन्न स्थानों पर गिरे और इन्हें ही शक्तिपीठ कहा जाता है। श्रीमद् देवी पुराण और शक्तिपीठांक के अनुसार माता सती का योनी स्थल जिस स्थान पर गिरा, वही कामाख्या मंदिर है। यह स्थान तभी से मां के भक्तों के लिए पूजा का स्थल बन गया।
मंदिर इस साल बंद होने का समय
इस साल अंबुवाची मेले के लिए मंदिर का दरवाजा 22 जून को बंद हो जाएगा। रात में 9 बजकर 27 मिनट और 54 सेकेंड पर प्रवृति शुरू होगी और 26 जून की सुबह 7 बजकर 51 मिनट और 58 सेकेंड पर निवृति होगी। इसके बाद 26 जून को ही देवी के पूजा स्नान के बाद मंदिर के द्वार खोले जाएंगे और प्रसाद वितरण होगा।
कामाख्या मंदिर है तंत्र साधना के लिए विशेष स्थान
कामाख्या देवी मंदिर को तंत्र साधना का विशेष स्थान भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार तांत्रिको के लिए अम्बूवाची मेले के दौरान सिद्धि प्राप्ति के लिए समय सबसे अनमोल होता है। ऐसे में यहां देशभर से बड़ी संख्या में तांत्रिक आते हैं। कामाख्या मंदिर से कुछ ही दूरी पर उमानंद भैरव का भी मंदिर है। उमानंद भैरव ही इस शक्तिपीठ के भैरव हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन के बिना कामाख्या देवी की यात्रा अधूरी रह जाती है।