महाभारत के इन 5 श्रापों की सजा आज भी भुगत रहे हैं लोग, पुरुषों के लिए अभिशाप है तीसरा श्राप

By उस्मान | Published: February 26, 2019 11:56 AM2019-02-26T11:56:43+5:302019-02-26T11:56:43+5:30

महाभारत में वैसे तो सैकड़ों शाप और वरदान मिल जाएंगे लेकिन पांच श्राप ऐसे हैं जिनका प्रभाव आज कलयुग में भी देखने को मिलता है।

5 Curses from Mahabharata which impacted people, Check the 5th Curse on Male from Mahabharata | महाभारत के इन 5 श्रापों की सजा आज भी भुगत रहे हैं लोग, पुरुषों के लिए अभिशाप है तीसरा श्राप

महाभारत के इन 5 श्रापों की सजा आज भी भुगत रहे हैं लोग, पुरुषों के लिए अभिशाप है तीसरा श्राप

'महाभारत' को महाकाव्य रूप में लिखा गया भारत का ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है। महाभारत का युद्ध हुए यूं तो बरसों बीत चुकें हैं, लेकिन आज भी लोगों में इसके प्रति जिज्ञासा है। इसके बारे में कई तथ्य ऐसे हैं, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। महाभारत में वैसे तो सैकड़ों शाप और वरदान मिल जाएंगे लेकिन पांच श्राप ऐसे हैं जिनका प्रभाव आज कलयुग में भी देखने को मिलता है। 'शाप' शब्द संस्कृत भाषा के 'श्राप' का अपभ्रंश है। कई जगह शाप को शार्प यानी तीखे रूप में भी प्रयोग किया गया है। 

1) जब श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को दिया श्राप
महाभारत के इतिहास के अनुसार, अश्वत्थामा ने धोखे से पांडव पुत्रों को मार दिया था। इसके बाद श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा का पीछा किया महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक जा पहुंचे। युद्ध के चलते अश्वत्थामा और कुंती पुत्र अर्जुन दोनों ने अपने कमान से ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया। यह देख महर्षि वेदव्यास ने दोनों को अपने ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा। आज्ञा मानते हुए अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया। मगर अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र वापस लेने की विद्या नहीं आती थी।

अश्वत्थामा ने अपना ब्रह्मास्त्र अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा की ओर कर दिया। श्रीकृष्ण को अश्वत्थामा की इस गलती पर क्रोध आया और अश्वत्थामा को श्राप देते हुए कहा कि तुम तीन हजार साल तक पृथ्वी लोक पर भटकते रहोगे। तुम्हारे शरीर से लहू और पीब की गंध निकलती रहेगी। कभी भी और कहीं भी  तुम पुरूष जाति से बात नहीं कर पाओगे और दुर्गम जंगलों में भटकते रहोगे।

2) युधिष्ठर का नारी जाती को श्राप
युद्ध समाप्ति के दौरान जब युधिष्ठर को कर्ण की मृत्यु के बाद माता कुंती द्वारा पता चला कि कर्ण उनका भाई था। यह सुनकर पांडवो को बहुत दुख पहुंचा और पूरे विधि-विधान के तहत कर्ण का अंतिम संस्कार किया। उन्होने अपने भाई कर्ण की मृत्यु का दुख जताते हुए पूरी नारी जाति को श्राप दिया कि कोई भी स्त्री किसी भी तरह की गोपनीय रहस्य आने वाले भविष्य में कभी नहीं छुपा पाएगी।

3) जब उर्वशी ने दिया अर्जुन को श्राप
कुंती पुत्र अर्जुन जब दिव्यास्त्र की शिक्षा पाने के लिए स्वर्गलोक गये, तो उर्वशी नाम की स्त्री उन पर आकर्षित हो गई। लेकिन अर्जुन ने उर्वशी जैसी अप्सरा को अपनी मां समान बताया। अर्जुन की बात सुन उर्वशी के मन में बड़ा क्षोभ हुआ और गुस्से में आकर अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दे दिया। श्राप देते हुए कहा कि 'तुमने नपुंसकों जैसी बात की है। अतः तुम्हें मैं श्राप देती हूं कि तुम एक वर्ष के लिए पुंसत्वहीन रहोगे और फिर उर्वशी वहां से चली गई।

4) यमराज को माण्डव्य ऋषि का श्राप
महाभारत के इतिहास अनुसार, जब राजा ने ऋषि माण्डव्य को सूली पर चढ़ाने को कहा, लेकिन लंबे समय तक सूली पर लटकने के बावजूद उनकी मृत्यु नहीं हुई। जब राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ, तो राजा ने महर्षि माण्डव्य से अपनी भूल की क्षमा मांगी। जब ऋषि माण्डव्य ने यमराज से पूछा कि आखिर बेवजह उन्हे झूठे आरोप में सजा क्यों मिली? 

यमराज ने ऋषि माण्डव्य को ज्ञात दिलाया कि आपने 12 वर्ष की आयु में एक छोटे कीड़े की पूंछ में सीख चुभाई थी, इसलिए आपको ये कष्ट झेलना पड़ा। जब ऋषि ने यमराज का उत्तर देते हुए बताया कि 12 वर्ष की आयु में ये ज्ञात नहीं होता क्या धर्म होता है क्या अधर्म और मुझे छोटे से अपराध के लिए इतनी बड़ी सजा क्यों? तब ऋषि ने यमराज को श्राप देते हुए कहा कि तुम एक शुद्र योनि में एक दासी की कोख से जन्म लोगे। इस श्राप के कारण यमराज को विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा।

5) श्रृंगी ऋषि का परीक्षित को श्राप
जब अंत में पांडव स्वर्गलोक की ओर बढ़ रहे थे, तो उससे पहले पांडवो ने सारा राज्य अभिमन्यु के बेटे परीक्षित को सौंप दिया था। उनके राज में सभी प्रजा बहुत सुखी थी। मगर एक दिन राजा परीक्षित वन में आखेट खेलने गये और वहां उन्हे शामीक ऋषि दिखाई दिये। ऋषि अपनी तपस्या में लीन थे और उन्होने मौन व्रत रखा हुआ था।

मौन व्रत के कारण उन्होने परीक्षित की किसी बात का जवाब नहीं दिया और उन्होने गुस्से में आकर शामक ऋषि पर मरा हुआ सांप फेक दिया। शामक ऋषि के पुत्र श्रृंगी को इस बात का पता चला तो, उन्होने परीक्षित को श्राप दिया कि आज से सात दिन बाद तुम्हारी मृत्यु तक्षक नाग के डसने से होगी। इसके पश्चात राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद कलयुग की शुरूआत हो गयी थी।

Web Title: 5 Curses from Mahabharata which impacted people, Check the 5th Curse on Male from Mahabharata

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