सिख दंगे: 'गुरुद्वारा अकाल तख्त' क्यों हैं सिखों के दिल के बेहद करीब, जानें

By गुलनीत कौर | Published: December 17, 2018 02:38 PM2018-12-17T14:38:09+5:302018-12-17T14:38:09+5:30

ऑपरेशन ब्लू स्टार में गोल्डन टेम्पल परिसर में स्थित 'अकाल तख्त' गुरुद्वारा तहस नहस कर दिया गया था। कहा जा रहा था कि भिंडरावाला और उसके साथी इसी इमारत के अन्दर छिपे थे। जिसके चलते इसपर तोपें चलाई गईं। अनगिनत बार फायरिंग भी की गई। 

1984 Anti-sikh riots: Importance, significance, history of Gurudwara Akal Takht Sahib demolished during Operation Blue Star | सिख दंगे: 'गुरुद्वारा अकाल तख्त' क्यों हैं सिखों के दिल के बेहद करीब, जानें

सिख दंगे: 'गुरुद्वारा अकाल तख्त' क्यों हैं सिखों के दिल के बेहद करीब, जानें

1984 के सिख दंगे सिख समुदाय के लिए एक बुरे सपने की तरह हैं, जिसे वे चाहकर भी भुला नहीं पाते हैं। इन दंगों ने ना जाने कितने बेगुनाहों की जान ली। मुद्दा अमृतसर के हरिमंदिर साहिब से शुरू हुआ। उस समय प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने भिंडरावाले और उसके साथियों को पकड़ने के लिए 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' कराया और मिलिट्री की मदद से सिखों के इस पवित्र स्थल पर हमला किया। 

सिख धार्मिक स्थल की इस कदर बर्बरता को देखने के बाद इंदिरा गांधी के अंगरक्षक, (सतवंत सिंह, बेअंत सिंह) जो कि खुद सिख थे, उन्होंने प्रधानमंत्री आवास पर ही इंदिरा गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया। प्रधानमंत्री की मौत के बाद देशभर में सिखों के खिलाफ आवाज उठी। लाखों की तादाद में सिखों को मारा गया। सिख पुरुषों और लड़कों को ज़िंदा लजाया गया। सिख औरतों का बलात्कार हुआ। पंजाब से लेकर दिल्ली-एनसीआर में ये सिख दंगे सबसे अधिक भड़के।

गुरुद्वारा अकाल तख्त

1984 के इस दर्दनाक समय को बीते हुए 34 साल हो गए, मगर सिख समुदाय का दर्द अभी भी ताजा है। ऑपरेशन ब्लू स्टार में गोल्डन टेम्पल परिसर में मौजूद जितनी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, उसे समय के साथ पहले जैसा बना दिया गया। गोल्डन टेम्पल परिसर में ही स्थित 'अकाल तख्त' गुरुद्वारा तहस नहस कर दिया गया था। कहा जा रहा था कि भिंडरावाला और उसके साथी इसी इमारत के अन्दर छिपे थे। जिसके चलते इसपर तोपें चलाई गईं। अनगिनत बार फायरिंग भी की गई। 

यदि आप उस समय की तस्वीरें देखें, तो गुरुद्वार अकाल तख्त काफी हद तक ध्वस्त हो चुका था। बाद में सिख समुदाय और सिख कमेटी की कोशिश से इस गुरूद्वारे की इमारत को हुए नुकसान की भरपाई की गई। आज यह गुरुद्वारा वापस नए जैसा हो गया है।

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गुरुद्वारा अकाल तख्त का महत्व

सिख समुदाय से बाहर के लोगों के लिए गुरुद्वारा अकाल तख्त एक ऐसी धार्मिक इमारत है जो सोने से सजे खूबसूरत गोल्डन टेम्पल के ठीक सामने बना है। लेकिन सच तो यह है कि अकाल तख्त गुरुद्वारा का महत्व श्री हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारा से कई बढ़कर है। ऐसा क्यूं, आइए जानते हैं।

सिखों के पांच तख्त

सिख धर्म में पांच अंक का बेहद महत्व देखा जाता है। पवित्र अमृत चखकर नाम लेने वाले सिख को पांच ककार (कंघा, कड़ा, किरपान, कछहरा, केश) धारण कराए जाते हैं। सभी सिख गुरुद्वारों में से पांच गुरूद्वारे खास हैं, जिन्हें पांच तख्त कहा जाता है। ये हैं - गुरुद्वारा अकाल तख्त (अमृतसर), गुरुद्वारा केशगढ़ साहिब (आनंदपुर साहिब), गुरुद्वारा दमदमा साहिब (बठिंडा), गुरुद्वारा पटना साहिब (बिहार) और गुरुद्वारा हजूर साहिब (महाराष्ट्र)। इन पाँचों में सर्वोच्च पद गुरुद्वारा अकाल तख्त को प्राप्त है। 

यहां से लिए गए ऐतिहासिक फैसले

सिख धर्म में गुरुद्वारा अकाल तख्त से निकला हुआ फरमान हर सिख को मानना होता है। इस गुरूद्वारे के नाम में 'अकाल' का संबंध परमात्मा से है और 'तख्त' ताकत को दर्शाता है। गुरुद्वारा अकाल तख्त सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिन्द द्वारा बनवाया गया था। सिख इतिहास के मुताबिक इसी स्थान पर बैठकर गुरु जी सिख संगत और अपनी सेना से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले लेते थे।

गुरु हरगोबिन्द द्वारा प्रारंभ किए गए इस रिवाज को सिख संगत ने आगे भी माना। गुरुद्वारा अकाल तख्त को आज भी सिखों की सर्वोच्च अदालत के रूप में देखा जाता है। रोज सुबह गुरु ग्रन्थ साहिब जी को सम्मानजनक रूप से पालाके में विराजमान करके गुरुद्वारा अकाल तख्त से गुरुद्वारा हरिमंदिर साहिब तक ले जाया जाता है। और रात में पूजा समाप्त करने के बाद गुरुद्वारा अकाल तख्त में ही गुरु गरंथ साहिब जी को वापस लाया जाता है। 

Web Title: 1984 Anti-sikh riots: Importance, significance, history of Gurudwara Akal Takht Sahib demolished during Operation Blue Star

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