क्या है लैवेंडर मैरिज के मायने, जानें भारत में कैसे की जाती है ये शादी?
By मनाली रस्तोगी | Published: February 17, 2022 04:15 PM2022-02-17T16:15:26+5:302022-02-17T16:19:23+5:30
समाज में खुद को आम कपल दिखाने के लिए जब एक गे लड़का और लेस्बियन लड़की आपस में शादी करते हैं तो उसे लैवेंडर मैरिज कहा जाता है।
राजकुमार राव (Rajkumar Rao) और भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) की फिल्म 'बधाई दो' रिलीज होने के बाद से लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, ये फिल्म एक ऐसे सामाजिक मुद्दे पर आधारित है जो अभी भारतीय समाज में काफी नया है। इस फिल्म में लैवेंडर मैरिज को दिखाया गया है। 'बधाई दो' में जहां एक ओर राजकुमार राव ने शार्दुल ठाकुर तो वहीं भूमि पेडनेकर ने सुमन सिंह का किरदार निभाया है। खास बात ये है फिल्म में दोनों लेस्बियन (Lesbian) और गे (Gay) की भूमिका हैं।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ये फिल्म जिस मुद्दे पर आधारित है उसपर आज भी लोग बात करने पर कतराते हैं। बता दें कि फिल्म 'बधाई दो' में अपनी पर्सनल लाइफ और सेक्सुअल प्रेफरेंस को छुपाने के लिए राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर आपस में शादी करते हैं, लेकिन सेक्सुअल प्रेफरेंस आम पति-पत्नी की तरह नहीं होती है। ऐसे में जहां शार्दुल को लड़के पसंद आते हैं तो वहीं सुमन को लड़कियों में ज्यादा रूचि होती है। इस शादी को लैवेंडर मैरिज कहा जाता है। मगर लैवेंडर मैरिज के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं क्योंकि भारतीय समाज में अधिकांश लोग लैवेंडर मैरिज जैसी चीजों को छिपाकर रखते हैं।
किसे कहते हैं लैवेंडर मैरिज?
अगर किसी पुरुष का यौन आकर्षण किसी महिला की अपेक्षा पुरुष की तरफ ज्यादा होता है तो उसे समलैंगिक पुरुष यानि की गे कहते हैं। वहीं, जब किसी लड़की का यौन आकर्षण किसी पुरुष की अपेक्षा महिला की ओर ज्यादा होता है तो उसे लेस्बियन कहा जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समाज में खुद को आम कपल दिखाने के लिए जब एक गे लड़का और लेस्बियन लड़की आपस में शादी करते हैं तो उसे लैवेंडर मैरिज कहा जाता है। बता दें कि होमोसेक्सुएलिटी से लैवेंडर कलर को जोड़कर देखा जाता था। यही वजह है कि इसे लैवेंडर मैरिज कहा जाता है।
भारत में कैसे होती है लैवेंडर मैरिज?
6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा-377 की कानूनी वैधता पर फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। ऐसे में जो किसी सामान्य नागरिक के मूल अधिकार हैं, अब वहीं अधिकार समलैंगिको के भी हैं क्योंकि सबको सम्मान से जीने का अधिकार है। इसके साथ ही धारा 377 के उस प्रावधान को कोर्ट ने हटा दिया था, जिसमें कहा गया था कि एक ही लिंग के 2 लोगों को संबंध बनाने की इजाजत नहीं है।
मगर अब भारत में 2 बालिग समलैंगिकों का संबंध जायज माना जाता है। हालांकि, समाज के डर से आज भी कई लोग अपने परिवार और समाज को अपनी सेक्सुअल प्रेफरेंस के बारे में नहीं बताते हैं। मगर पिछले कुछ सालों में भारत में कई गे कपल की शादियां हुई हैं, जो समाज में सोच को बदल रहे हैं।