Extra Marital Affairs में पुरुषों से आगे निकली भारतीय महिलाएं, चौंकाने वाले हैं आंकड़े!
By मेघना वर्मा | Published: February 29, 2020 09:20 AM2020-02-29T09:20:03+5:302020-02-29T09:20:03+5:30
ग्लीड ऐप अपने कस्टमर्स को एक वर्चुअल इंवायरमेंट देते हैं जिसमें लोग अपनी नई लव स्टोरी की शुरूआत कर सकते हैं।
भारत में एक्सट्रा मेरिटल अफेयर को सही नहीं माना जाता। देश में सेक्स और फिजीकल इंटीमेसी को टैबू माना जाता है। हम सभी इस चीज को मानते हुए बड़े होते हैं कि सेक्स एक ऐसी चीज है जो सिर्फ और सिर्फ अपने पति या पत्नी के साथ ही किया जाना चाहिए। इसी वजह से ही भारत में पतिवृता जैसे कॉन्सेप्ट का जन्म हुआ है। वहीं हाल ही में हुई एक रिसर्च ऐप में ये दावा किया गया है कि 53 प्रतिशत इंडियन वाइफ ने ये माना है कि उनका उनके पति के अलावा किसी और से भी संबध रहे हैं। वहीं पुरुषों में ये प्रतिशत 43 है।
ग्लोबल एक्स्ट्रा मेरिटल डेटिंग ऐप के अनुसार इंडियन वुमेन रोमांस और आईडेंटीफाई को लेकर बहुत ओपेन हैं। ग्लीड अपने कस्टमर्स को एक वर्चुअल इंवायरमेंट देते हैं जिसमें लोग अपनी नई लव स्टोरी की शुरूआत कर सकते हैं। इस नई स्टडी को 1500 से ज्यादा लोगों पर किया गया। जिसमें दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद शामिल हैं।
टीओआई के अनुसार, इस स्टडी के मुताबिक उन महिलाओं की संख्या ज्यादा है जिनका रेग्युलर सेक्स इंटरकोर्स अपने पति के अलावा और किसी के साथ है। स्टडी में इस बात को बताया गया है कि 40 प्रतिशत महिलाएं वो हैं जो अपने हसबैंड के अलावा किसी और के साथ सेक्स किया है। वहीं केवल 26 प्रतिशत पुरुष ऐसे हैं जो रेग्युलर किसी दूसरी महिला के साथ इंटीमेट होते हैं।
वहीं 50 प्रतिशत शादी-शुदा लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस बात को स्वीकारा कि उनका, उनके पार्टनर के अलावा किसी और के साथ फीजिकल रिलेशनशिप हैं। वहीं 10 में से 5 लोगों ने माना कि वो कैजुअल सेक्स या वन नाइट स्टैंड पर बिलीव करते हैं। वहीं 48 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि एक ही समय में दो लोगों के साथ प्यार करना वास्तव में संभव है।
जबकि 46 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि किसी व्यक्ति के साथ धोखा करते हैं। वहीं जब इस बारे में उनके पार्टनर को पता चलता है तो वो उसे बस इसलिए माफ कर देते हैं क्योंकि वो उनके पति या पत्नी हैं।
हालांकि, ये रिसर्च एक्सट्रा मैरिटल अफेयर को लेकर किया गया था। जिसमें 1500 लोगों पर अध्ययन किया गया था। जो करोड़ो भारतियों की सोच नहीं बता सकते। ये आंकड़े उन सभी के लिए एक नहीं हो सकते।