70 प्लस नहीं, इस उम्र के लोग होते हैं 'अकेलेपन' का अधिक शिकार, सर्वे में सामने आई वजह
By गुलनीत कौर | Published: October 18, 2018 02:44 PM2018-10-18T14:44:21+5:302018-10-18T14:44:21+5:30
54 फीसदी लोगों के पास नए दोस्त बनाने के लिए समय नहीं है।
अक्सर ऐसा होता है कि घर में परिवार वालों के साथ, ऑफिस में या बाहर दोस्तों के बीच बैठे हुए भी हम अकेलापन महसूस करते हैं। इसका क्या कारण है, ये क्यूं हो रहा है और कैसे इससे दूर हों इसका जवाब हमें मालूम नहीं होता। हम बस खुद को अन्दर से अकेला पाते हैं। एक्सपर्ट्स की राय में यह अकेलापन खतरनाक होता है।
अकेलेपन का शिकार हो चुके व्यक्ति को मानसिक के साथ कई शारीरिक कष्टों से भी गुजरना पड़ता है। एक शोध के अनुसार अकेलापन स्वास्थ्य पर रोजाना स्मोक करने की आदत से भी बुरा असर करता है। इसलिए कई देशों ने इस अकेलेपन से बाहर निकलने की भी कोशिश की है।
BBC द्वारा हाल ही में अकेलेपन की परिभाषा, उसके कारण और कैसे उससे छुटकारा पाया जाए, इसपर एक सर्वे किया। यह सर्वे इस विषय पर हुए दुनिया के सबसे बड़े सर्वे में से एक माना जा रहा है जिसमें दुनियाभर से 55,000 से भी अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।
यह सर्वे लंदन की यूनिवर्सिटी ऑफ मंचेस्टर के साथ मिलकर किया गया। शोध में 16 वर्ष की आयु से शुरू होकर वृद्ध लोगों तक सवाल किए गए। सवाल कुछ इस प्रकार के थे-
1. किस तरह के दोस्त बनाना पसंद हैं?
2. आपके हिसाब से अकेलापन क्या है?
3. अकेलेपन को दूर करने के लिए आपके हिसाब से क्या करना चाहिए?
इस तरह के और भी कई सवाल लोगों के सामने रखे गए और जवाब में कई हैरान कर देने वाली बातें सामने आईं। आइए आपको सबसे पहले इस सर्वे के कुछ हैरान कर देने वाले रिजल्ट बताते हैं।
16 से 24 की उम्र वाले अकेलेपन से पीड़ित
अमूमन हम ये मानते हैं कि पूरी जिन्दगी बिताने के बाद जब व्यक्ति का बुढ़ापा शुरू होता है तो वह अकेला पड़ जाता है। उस समय तक वो अपने कई दोस्त, रिश्तेदार और यहां तक कि पार्टनर को भी खो चुका होता है। इसलिए बुढ़ापे में अकेलापन सबसे अधिक होता है। लेकिन सर्वे की मानें तो 16 से 24 वर्ष की आयु के 40 फीसदी और 75 वर्ष की आयु से अधिक के मात्र 27 फीसदी लोग अकेलेपन का शिकार हैं। यानी यंग जनरेशन अकेलापन से पीड़ित है।
ये है कारण
जब कारण जानने की कोशिश की गयी तो शोधकर्ताओं ने इस बात को मूल आधार बनाया कि शायद अकेले रहने वाले लोग अकेलेपन के अधिक शिकार होंगे। लेकिन रिजल्ट ने उन्हें हैरान कर दिया। सर्वे के अंत में मिले रिजल्ट के मुताबिक वे लोग जो अकेले रहते हैं वे अकेलेपन के कम शिकार हैं। जबकि वो जो परिवार-दोस्तों के बीच रहते हैं उन्हें अकेलापन अधिक परेशान करता है। यानी अकेले रहने का अकेलेपन से कोई संबंध नहीं है।
अकेलापन जताते नहीं हैं लोग
सर्वे के दौरान जब लोगों से सवाल किया गया तो शोधकर्ताओं ने यह पाया कि वे लोग जो वाकई में खुद को अकेला मानते हैं वे लोग इस अकेलेपन के बारे में खुलकर बात करना पसंद नहीं करते हैं। सोसाइटी उनके बारे में क्या सोचेगी और कैसे रिएक्ट करेगी, इस डर से वे चुप रहते हैं।
बदलता मौसम और अकेलापन
सर्वे में कुछ लोगों ने यह भी कहा कि सर्दियों के मौसम में लोग घरों से बाहर नहीं निकलते, दोस्तों से बात नहीं करते और कमरे में बंद रहते हैं। इसलिए इस मौसम में अकेलापन अधिक होता है। लेकिन यह सच नहीं है। मौसम का अकेलेपन से किसी भी तरह का कोई संबंध सर्वे के अंत में निकलकर सामने नहीं आया।
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अकेलापन अच्छा भी है
सर्वे के दौरान 41 फीसदी लोगों ने यह माना कि भले ही अकेलापन लंबे समय तक रहे तो यह सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है लेकिन फिर भी यह कुछ मायनों में सकारात्मक है। ये वो लोग थे जिन्होंने माना कि अकेलापन उन्हें भी महसूस होता है लेकिन यह लंबे समय तक टिका नहीं रहता है।
लोगों ने बताया क्या है अकेलापन
सर्वे के दौरान लोगों से जब पूछा गया कि 'अकेलापन क्या है', तो कई लोगों ने कुछ शब्दों का बार-बार प्रयोग किया। जैसे कि 'फील', 'पीपल', 'अलोन', 'शेयर', 'समवन'। ये ऐसे शब्द हैं जो उनके मुताबिक अकेलेपन का एहसास कराते हैं।
साथ ही लोगों ने यह भी माना कि अकेले होने का मतलब यह नहीं कि वह इंसान अन्दर से भी अकेला है। बेशक वह अकेला दिख रहा है, लेकिन यह भी संभव है कि वह अपनी लाइफ से खुश है। उसे किसी इंसान, चीज के ना होने का एहसास नहीं होता है।
अकेलापन कैसे होगा दूर?
ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में यह सामने आया था कि 54 फीसदी लोगों के पास नए दोस्त बनाने के लिए समय नहीं है। इसलिए भी वे अकेले हैं। इस चिंता को समझते हुए सरकार ने एक मिनिस्टर भी नियुक्त किया था जिसका काम अकेलेपन से कैसे लोगों को बाहर लाया जाए, यह करना होगा।