Parenting Tips: किशोरावस्था में बच्चों संग कैसा हो अभिभावकों का व्यवहार, जानें एक्सपर्ट की राय
By मनाली रस्तोगी | Published: January 3, 2023 02:52 PM2023-01-03T14:52:43+5:302023-01-03T14:59:07+5:30
किशोरावस्था में बच्चों के साथ अभिभावकों का कैसा व्यवहार होना चाहिए इसपर डॉ हेमिका अग्रवाल कहती हैं कि सेक्स एजुकेशन से पहले अभिभावकों को बच्चों से मासिक धर्म के बारे में बात करनी चाहिए।
Parenting Tips: एक बच्चा अपने अभिभावकों का सबसे बड़ा खजाना होता है। अपने पूरे जीवन में अभिभावक अपने बच्चे के लिए केवल सर्वश्रेष्ठ के अलावा और कुछ नहीं चाहते हैं। वे अपने बच्चे के लिए एक बड़े समर्थन और प्रभाव के रूप में कार्य करते हैं और उनमें बुनियादी और सकारात्मक मूल्यों को स्थापित करते हैं। अभिभावक बच्चे को उसके भविष्य और शैक्षिक विकल्पों के बारे में भी मार्गदर्शन करते हैं।
वे उसे यह समझने में मदद करते हैं कि उसके लिए क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता जाता है उसके अभिभावकों के साथ संबंध बदलते रहते हैं। अभिभावक और बच्चे के बीच संबंध तब और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब बच्चा बड़ा हो जाता है और किशोरावस्था में प्रवेश करता है। अभिभावकों के लिए जल्दी शुरुआत करना अपने बच्चे की किशोरावस्था के लिए तैयार करने का सबसे अच्छा तरीका है।
ऐसे में बढ़ते बच्चों के साथ अभिभावकों का कैसा व्यवहार होना चाहिए, आईए इसपर जानते हैं डॉक्टर हेमिका अग्रवाल की राय:
किशोरावस्था में बच्चों के साथ अभिभावकों का कैसा व्यवहार होना चाहिए इसपर डॉ हेमिका अग्रवाल कहती हैं कि सेक्स एजुकेशन से पहले अभिभावकों को बच्चों से मासिक धर्म के बारे में बात करनी चाहिए। डॉ अग्रवाल कहती हैं कि बच्चियों के पीरियड्स शुरू होने से पहले उन्हें इसके बारे में समझाएं ताकि उन्हें आगे चलकर कोई परेशानी न हो। दरअसल, कई बार बच्चियों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती।
ऐसे में जब उनके मासिक धर्म शुरू होते हैं तो उन्हें लगता है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी हो गई। बच्चियों में इसकी पूरी जानकारी न होने से उन्हें कोई गलतफहमी हो सकती है। इसके साथ ही डॉ अग्रवाल कहती हैं कि सिर्फ लड़कियों को ही लड़कों को भी मासिक धर्म के बारे में समझाना चाहिए। इसके अलावा बढ़ते बच्चों से सेक्सुअल प्रोब्लम्स पर भी बातचीत करनी चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत।
डॉक्टर हेमिका अग्रवाल कहती हैं कि लड़कों की परवरिश भी सेंसिटिवली होनी चाहिए और उन्हें दूसरे जेंडर के बारे में पता होना चाहिए। अभिभावकों को यौवन अवस्था पर भी बच्चों से बात करनी चाहिए। डॉ अग्रवाल कहती हैं कि पेरेंट्स को इस दौरान बच्चों की अच्छे से देख-रेख करनी चाहिए और उन्हें इस बीच होने वाली चीजों के बारे में समझाना चाहिए। इन चीजों का ख्याल रखने से बच्चे एक जिम्मेदार वयस्क बनते हैं।