वाराणसीः पीएम मोदी ने 2014 में केजरीवाल को दी थी शर्मनाक हार, फिर टक्कर देने की करेंगे हिम्मत?
By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 5, 2018 03:01 PM2018-09-05T15:01:29+5:302018-09-05T15:08:49+5:30
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजपार्टी एक साथ चुनाव ालड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार उतारने की जहमत नहीं उठाएगा!
वाराणसी, 5 सितंबरः 17वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव करीब हैं। आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी शुरू कर दी है। अतिशी पूर्वी दिल्ली से आप की लोकसभा उम्मीदवार होंगी। ऐसे में देश के सबसे बड़े उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सीटों पर चर्चा लाजमी है। बीते दो सितंबर को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता स्मृति जुबिन ईरानी ने अमेठी जाकर हुंकार भरी। इसके बाद से यह माना जाने लगा कि राहुल गांधी के खिलाफ इस बार भी बीजेपी स्मृति ईरानी को ही उतारेगी। क्योंकि चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ईरानी लगातार अमेठी में सक्रिय हैं।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16वीं लोकसभा के आम चुनाव 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा था, 'गंगा मइया के बुलावे' वह वाराणसी आए हैं। लेकिन गंगा मइया के बुलावे के बाद भी उन्होंने वडोदरा से भी चुनाव लड़कर एक सुरक्षित दांव खेला था। इसी असुरक्षा के भाव को देखते हुए आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पीएम उम्मीदवार मोदी को वाराणसी आकर चुनौती थी। दिल्ली की एक आम सभा में बड़े उत्साहित अंदाज में मनीष सिसोदिया ने सामने मौजूद भीड़ से पूछा था- 'तो क्या वाराणसी चलकर दिखा दिया जाए?' लोगों ने जवाब दिया था, 'दिखा दिया जाए'।
लेकिन इसके नतीजे वैसे नहीं आए, जैसे मनीष सिसोदिया या अरविंद केजरीवाल ने उस रैली में आत्मविश्वास से जनता से पूछा था। अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी को मिले वोट के ईद-गिर्द तो क्या उनके आधे वोट भी नहीं जुटा सके। लेकिन सबसे अहम बात यह रही कि केजरीवाल दूसरे नंबर तक पहुंचने में सफल रहे थे।
वाराणसी सीट के उम्मीदवार | उम्मीदवारों को मिले वोट |
नरेंद्र मोदी (बीजेपी) | 581022 |
अरविंद केजरीवाल (आप) | 209238 |
अजय राय (कांग्रेस) | 75614 |
विजय प्रकाश जायसवाल (बीएसपी) | 60579 |
एक नजर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुए कामों पर
चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी वाराणसी को लगभग 40 हजार करोड़ की योजनाओं की सौगात दे चुके हैं।
नमामि गंगेः प्रधानमंत्री की योजनाओं में से सबसे महत्त्वाकांक्षी योजना है 'नमामि गंगे'। गंगा की की स्थिति का ख्याल रखने की जिम्मेदारी साध्वी उमा भारती को दी गई। लेकिन आज भी गंगा की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आता। गंगा का पानी बिलकुल मैला हो चुका है इसमें रह रहे जीव-जंतु मर रहे हैं। इसके अलावा काशी में क्योटो बनाने की घोषणा भी कही दबी नजर आ रही है। काशी को स्मार्ट सिटी का दर्जा तो मिला है, लेकिन इन सब के बीच इसकी स्मार्टनेस कही धूमिल पड़ गई है।
स्वच्छताः वाराणसी में स्वच्छता की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। बता दें कि लगभग 320 करोड़ रुपये लगाकर अमृत योजना की शुरूआत की गई है। जिसके तहत पानी और सीवेज व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही सीएसआर की मदद से करसड़ा में अच्छा कूड़ा-कचड़ा प्रबंधन के लिए कदम उठाया गया। अब शहर के सभी 90 वार्ड में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए 12 करोड़ का बजट रखा गया है। जिससे शहर साफ रहे। और इसकी स्वच्छता बनी रहे।
रेलवे स्टेशन और सौंदर्यीकरणः मोदी सरकार ने वाराणसी से वड़ोदरा के लिए नई ट्रेन की सौगात दी। जिसका उद्घाटन उन्होंने बीते वर्ष किया था। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन को भी नए आधुनिक तौर पर बनाया गया है। बता दें कि वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ियां बनाई गई और यात्रियों के लिए विश्रामगृह भी बनवाया गया है। वाराणसी की ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए पीएम मोदी का एक ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। जिसके अंतर्गत कुल आठ करोड़ रुपये लगाकर दुर्गाकुंड, लक्ष्मीकुंड और लाटभैरव कुंड की सफाई और जीर्णोद्धार, 80 करोड़ में म्यूजिक हेरिटेज वॉक के बनाने का काम अभी चल रहा है।
वाराणसी में बुनकरों के लिए सौगातः वाराणसी में बुनकरों पर पीएम मोदी कुछ मेहरबान नजर आए हैं। उन्होंने 213 करोड़ रुपये लगाकर यहां ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर व क्राफ्ट म्यूजियम की स्थापना कराई। और साथ ही 32 करोड़ रुपये लगाकर 25 हजार हाथ कारीगरों, बुनकरों के लिए नौ कॉमन फैसिलिटी सेंटर और 10 ब्लॉक क्लस्टर भी बनवाए हैं। हालांकि ट्रेंड फैसिलिटी अभी सिर्फ पर्यटकों को ही रिझाता है।
नतीजाः इन कामों को देखते हुए लगता है कि पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में बेहद सक्रिय रहे हैं। ऐसे में इस बार जब वह फिर से पीएम उम्मीदवार होंगे तो उनके खिलाफ उतारने के लिए विपक्ष को उम्मीदवार बहुत ही ज्यादा सोच-समझ कर उतारने होंगे।
मोदी के वाराणसी से किए गए वायदे, जो पूरे नहीं हुए
- 300 करोड़ लगाकर पंडित दीनदयाल हस्तकला संकुल
- 140 करोड़ लगाकर होमी भाभा कैंसर अस्पताल
- 500 करोड़ लगाकर डीरेका का विस्तारीकरण (मेक इन इंडिया के अंतर्गत )
-400 करोड़ लगाकर कैंट और मंडुआडीह रेलवे स्टेशन
- 90 करोड़ लगाकर हेरिटेज वाक
- हर हाथ रोजगार के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में पहले टेक्निकल इंस्टिट्यूट
अभी तक अधूरी पड़ी यह परियोजनाएंः नई टैंक सीवर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, राजातालाब का निर्माण, चौकघाट फ्लाईओवर, सात हाइवे का निर्माण, कैंसर हॉस्पिटल, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण आदि।
इन परियोजनाओं पर अभी काम चालू नहीं हुआः कान्हा उपवन का निर्माण, मल्टीलेवल पार्किंग ( गौदोलिया ), नमामि परियोजना में 26 घटों का जीर्णोद्धार, दशाश्वमेध घाट का निर्माण, बाबतपुर एयरपोर्ट आदि। पीएम मोदी ने हृदय और प्रसाद योजना के अंतर्गत वाराणसी के विरासतों को सहेजा है। लेकिन स्मार्ट सिटी, मेट्रो आदि पर सरकार सफल नहीं हो पाई है। चुनाव से पहले सोशल मीडिया में एक बयार थी। वाराणसी को क्योटो बनाने की, वह अब नजर नहीं आ रहा।
नतीजाः अरविंद केजरीवाल ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान कई बार लोगों के गुस्से का शिकार होने के बावजूद मोदी के करीब 5.8 लाख वोटों की तुलना में 2 लाख वोट जुटाने में सफल रहे थे। लेकिन उसके बाद से वह क्षेत्र में उतने सक्रिय नहीं है। लेकिन अगर वे पीएम मोदी के पूरे ना हुए वायदों को आगे कर के मैदान में आते हैं तो टक्कर रोचक हो सकती है।
बुआ-भतीजे ने गोरखपुर में घुसकर योगी को हराया, मोदी से होगी टक्कर?
इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजपार्टी एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार उतारने की जहमत नहीं उठाएगा! एक स्थानीय कांग्रेस नेता बताते हैं कि फिलहाल कांग्रेस अपनी तैयारी कर रही है। लेकिन चुनाव लड़ने पर अंतिम फैसला आलाकमान का होगा।
ऐसे में जिस तरह से लोकसभा उपचुनावों में एसपी-बीएसपी की जोड़ी ने योगी के गढ़ में गोरखपुर में बीजेपी को शिकस्त दी थी, वह वाराणसी में भी कुछ ऐसा करने का प्रयास करेगी। उल्लेखनीय है कि वाराणसी से सटे लोकसभा सीट रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल ने खुद को निचली जाति का होने के वजह से ऑफिस से भगाने का आरोप लगाया था। इसके अलावा भी बीएसपी पूर्वांचल में ठीक माहौल बनाने में सफल रही है। ऐसे में मुकाबला रोचक हो जाएगा अगर एसपी-बीएसपी और कांग्रेस संयुक्त रूप से कोई उम्मीदवार ले आती है।
My View: पीएम मोदी से टकराने के लिए सबसे दिग्गज उम्मीदवार हार्दिक पटेल
मेरे अपने विचार में भारतीय राजनीति में इस वक्त सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी से टकराने का माद्दा पीएम मोदी के गुजरात से ही आने वाले हार्दिक पटेल रखते हैं। पाटीदार आरक्षण को लेकर जब वह साल 2015 में आंदोलन छेड़े तब केंद्र के बाद लगातार राज्यों में जीत रही बीजेपी के खिलाफ कथित तौर पर 18 लाख लोग अहमदाबाद के पार्क में इकट्ठा कर पाने में सफल रहे थे। इसके बाद भड़की हिंसा को गुजरात 2002 दंगों के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिंसा बताया जाता है। वह लगातार तीखे अंदाज में पीएम मोदी की मजबूती से विरोध करते हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में उम्र के चलते वह मैदान में नहीं उतर पाए थे, फिर भी उन्होंने चुनावों को प्रभावित किया था। एक बार फिर से वह बीते 12 दिनों से अनशन पर हैं। मुद्दा पटेल आरक्षण। उनके पक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा आ चुके हैं। वह चर्चा में हैं। वाराणसी में तो नहीं लेकिन अगर वडोदरा सीट पर पीएम मोदी दोबारा चुनाव लड़ते हैं और हार्दिक वहां उनको टक्कर दें तो बेहद रोमांचक मुकाबला देख्नने को मिल सकता है।