Congress में क्यों शामिल होना चाहते हैं Prashant Kishor?

By योगेश सोमकुंवर | Published: July 31, 2021 07:02 PM2021-07-31T19:02:07+5:302021-07-31T19:15:24+5:30

प्रशांत कई बार ‘ग्रासरूट’ पर काम करने की इच्छा जाता चुके हैं.  अपनी पहली राजनितिक पारी प्रशांत ने जेडीयू के साथ शुरू की थी, इस दौरान उन्होंने कई बार बिहार के लिए काम करने की अपनी इच्छा जाहिर की थी. बिहार के युवाओं के 2015 चुनाव के बाद से प्रशांत किशोर कोई नया नाम नहीं है, वह खुद भी बिहार के ही रहने वाले हैं. जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत ने बिहार में ‘बात बिहार की’ कैंपेन लॉन्च किया था.

Why Prashant Kishor wants to join Congress? | Congress में क्यों शामिल होना चाहते हैं Prashant Kishor?

Congress में क्यों शामिल होना चाहते हैं Prashant Kishor?

Highlightsकांग्रेस की पहुंच से यूपी बाहर, पंजाब से उम्मीदप्रशांत किशोर का बिहार कनेक्शनबिहार में कांग्रेस के पास नहीं कोई चेहरा

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें जोरों पर हैं.  प्रशांत किशोर ने बीती 13 जुलाई को राहुल और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी इसके बाद से ही यह कहा जा रहा है की प्रशांत  किशोर कांग्रेस का दामन थाम एक बार फिर राजनीति में अपनी किस्मत आजमाएंगे. कई राजनीतिक विश्लेषक इसे कांग्रेस के रिवाइवल से जोड़ कर भी देख रहे हैं, उनका मानना है की 2014 के बाद कमजोर हो चुकी कांग्रेस को इससे नई जान मिलेगी. लेकिन यहां एक सवाल यह भी उठता हैं की प्रशांत किशोर क्यों कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं? कांग्रेस में शामिल होने के पीछे प्रशांत किशोर की क्या रणनीति है?

प्रशांत किशोर के काम से कांग्रेस को कई राज्यों में हुआ नुकसान

बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी की जीत में पीके का अहम योगदान रहा लेकिन बंगाल में टीएमसी के खिलाफ लड़ रही कांग्रेस को 0 पर निपटाने का श्रेय भी पीके को जाता है। इससे पहले 2018 में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने भी आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था, तब भी प्रशांत, जगनमोहन के साथ काम कर रहे थे. 2017 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के साथ काम किया, पंजाब में जहां उन्हें सफलता मिली वही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया. बात अगर 2014 की करें तब भी प्रशांत किशोर ने मोदी के साथ मिलकर बीजेपी को जिताने के लिए कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने का काम किया था. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर और राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ काम कर चुके किशोर क्यों आज कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं? ये सवाल तो बनता है.

कांग्रेस की पहुंच से बाहर यूपी, पंजाब से उम्मीद

2022 में देश के 7 राज्यों गोआ, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव होने है. उत्तर प्रदेश और पंजाब की अगर बात कि जाए तो, 403 सीटों के साथ सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कमजोर ही नजर आती है, कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी ने जरूर यूपी की जिम्मेदारी संभाली हुई है लेकिन पार्टी अब भी पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीजों को सुधारने की स्थिति में नहीं है. 2017 यूपी चुनाव में प्रशांत किशोर कांग्रेस के साथ थे इस बार भी अगर किशोर पार्टी के साथ रहे तब भी कांग्रेस के प्रदर्शन पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आता. यूपी में इस बार भी मुख्य लड़ाई बीजेपी, सपा और बसपा के बीच ही होनी है. पंजाब में कांग्रेस सरकार की स्थिति कुछ बेहतर नजर आती है, किसानों से जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस और अकाली दल कोई कोताही नहीं बरत रहा और लगातार किसानों के साथ खड़े दिश रहे हैं. कांग्रेस को हाल में हुई सिद्धू की ताजपोशी का भी फायदा मिलने की उम्मीद है. बीजापी का पंजाब में वैसे ही कोई दखल नहीं है. पंजाब में प्रशांत किशोर पहले भी कांग्रेस की जीत में साथ थे लेकिन पार्टी ज्वाइन करने के बाद प्रशांत को यहां अलग भूमिका में देखा जा सकता है क्योंकि अब केवल अमरिंदर सिंह नहीं बल्कि नवजोत सिंह सिद्धू भी पंजाब में तैनात हैं.

2022 राष्ट्रपति चुनाव होगी पहली चुनौती

कांग्रेस में शामिल होने के बाद प्रशांत किशोर का पहला काम 2022 के राष्ट्रपति चुनाव पर होगा, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अभी से सियासी गलियारों में बातें चल रही हैं. कुछ दिन पहले आई खबरों के मुताबिक एनसीपी प्रमुख शरद पवार राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हो सकते हैं. इसके पीछे भी प्रशांत किशोर का ही दिमाग बताया जा रहा है. पवार भले ही अभी इस बात से इनकार कर रहे हो लेकिन अगले साल ऐसा ही देखने मिल सकता है. प्रशांत भी विभिन्न क्षेत्रीय दलों में अपनी पैठ का लाभ कांग्रेस को अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दिलाना चाहेंगे.

प्रशांत किशोर का बिहार कनेक्शन

प्रशांत कई बार ‘ग्रासरूट’ पर काम करने की इच्छा जाता चुके हैं.  अपनी पहली राजनितिक पारी प्रशांत ने जेडीयू के साथ शुरू की थी, इस दौरान उन्होंने कई बार बिहार के लिए काम करने की अपनी इच्छा जाहिर की थी. बिहार के युवाओं के 2015 चुनाव के बाद से प्रशांत किशोर कोई नया नाम नहीं है, वह खुद भी बिहार के ही रहने वाले हैं. जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत ने बिहार में ‘बात बिहार की’ कैंपेन लॉन्च किया था. जिसका लक्ष्य उन्होंने अगले 10 सालों में बिहार को देश के 10 अग्रणी राज्यों में शामिल करना बताया था. हाल में हो रहे घटनाक्रम से यह लग रहा है कि प्रशांत किशोर बिहार को अग्रणी राज्य बनाने का सपना कांग्रेस पार्टी में होते हुए पूरा करना चाहते हैं.

बिहार में कांग्रेस के पास नहीं कोई चेहरा

बिहार में कांग्रेस की स्थिति पर बात की जाए तो इस प्रदेश में कांग्रेस 1989 के बाद से अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है, 2020 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़कर केवल 19 पर ही जीत दर्ज कर पाई थी. ऐसी स्थिति में प्रशांत किशोर अगर कांग्रेस ज्वाइन करते हैं तो इसे बिहार की राजनीति से भी जोड़कर देखा जाना चाहिए. इससे यह सवाल तो उठता ही है कि क्या आने वाले समय में बिहार में प्रशांत किशोर कांग्रेस का चेहरा बन सकते हैं?

Web Title: Why Prashant Kishor wants to join Congress?

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