कांग्रेस सत्ता में नहीं,  इसलिए उठ रहे हैं असहमति के स्वर, अधीर रंजन बोले-लोग ‘पार्टी की व्यवस्था के लाभार्थी’ रहे हैं

By भाषा | Published: September 2, 2020 05:12 PM2020-09-02T17:12:47+5:302020-09-02T17:12:47+5:30

‘‘एक राजनीतिक पार्टी कोई स्थिर इकाई नहीं होती, यह गतिशील होती है जहां बदलाव होते हैं। ये अलग-अलग राय और पार्टी में सुधार की मांग सामने आ रही है क्योंकि हम सत्ता में नहीं हैं। अगर हम सत्ता में होते तो आप असहमति की कोई भी आवाज नहीं सुनते।’’

West Bengal Congress not power so voices disagreement are rising Adhir Ranjan people have been 'beneficiaries of party system' | कांग्रेस सत्ता में नहीं,  इसलिए उठ रहे हैं असहमति के स्वर, अधीर रंजन बोले-लोग ‘पार्टी की व्यवस्था के लाभार्थी’ रहे हैं

कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य ने कहा कि तकरार की वजह यह है कि कार्य समिति की बैठक से पहले यह पत्र मीडिया को लीक किया गया। (file photo)

Highlightsकांग्रेस गांधी परिवार के बाहर ऐसा कोई भी विकल्प तलाशने में विफल रही जो अपनी अखिल भारतीय स्तर की अपील से पार्टी को एकजुट रख सकता हो।चौधरी ने कहा कि जिन्होंने पार्टी के कामकाज को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं वो दशकों से इसका अभिन्न हिस्सा रहे हैं। ‘‘जो लोग आवाज उठा रहे हैं वो दशकों से इस व्यवस्था के हिस्सा रहे हैं और इसके लाभार्थी भी रहे हैं। वो लोग अब आवाज क्यों उठा रहे हैं?’’

कोलकाताः कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं पर निशाना साधते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को कहा कि ये लोग ‘पार्टी की व्यवस्था के लाभार्थी’ रहे हैं व अगर पार्टी आज सत्ता में होती तो असहमति की कोई आवाज नहीं सुनाई देती।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस गांधी परिवार के बाहर ऐसा कोई भी विकल्प तलाशने में विफल रही जो अपनी अखिल भारतीय स्तर की अपील से पार्टी को एकजुट रख सकता हो। लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘एक राजनीतिक पार्टी कोई स्थिर इकाई नहीं होती, यह गतिशील होती है जहां बदलाव होते हैं। ये अलग-अलग राय और पार्टी में सुधार की मांग सामने आ रही है क्योंकि हम सत्ता में नहीं हैं। अगर हम सत्ता में होते तो आप असहमति की कोई भी आवाज नहीं सुनते।’’

चौधरी ने कहा कि जिन्होंने पार्टी के कामकाज को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं वो दशकों से इसका अभिन्न हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग आवाज उठा रहे हैं वो दशकों से इस व्यवस्था के हिस्सा रहे हैं और इसके लाभार्थी भी रहे हैं। वो लोग अब आवाज क्यों उठा रहे हैं?’’

कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य ने कहा कि तकरार की वजह यह है कि कार्य समिति की बैठक से पहले यह पत्र मीडिया को लीक किया गया। इस तरह के पत्र से सिर्फ भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने में मदद मिलती है। चौधरी ने यह भी कहा कि कांग्रेस पास सोनिया गांधी और राहुल गांधी का कोई विकल्प नहीं है और पार्टी के चुनावी प्रदर्शन की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं दोनों नेताओं पर डालना उचित नहीं है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव और पूर्णकालिक एवं सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी।

उनके इस पत्र को पार्टी के भीतर कई लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देने के तौर पर लिया। इस पत्र से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में ही 24 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति की हंगामेदार और मैराथन बैठक हुई जिसमें सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष रहने का आग्रह किया गया और संगठन में जरूरी बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया गया। 

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