साक्षात्कार: 'हिंदू राष्ट्रवाद चुनावी करेंसी है जिसको सबसे पहले सावरकर ने समझा'

By रंगनाथ सिंह | Published: March 16, 2021 12:06 PM2021-03-16T12:06:56+5:302021-03-16T12:06:56+5:30

'जुगलबंदी: भाजपा मोदी युग से पहले' के लेखक विनय सीतापति का साक्षात्कार।

vinay sitapati jugalbandi vinay sitapati interview with rangnath singh | साक्षात्कार: 'हिंदू राष्ट्रवाद चुनावी करेंसी है जिसको सबसे पहले सावरकर ने समझा'

जुगलबंदी विनय सीतापति की दूसरी किताब है।

Highlightsलेखक विनय सीतापति की किताब 'जुगलबंदी: भाजपा मोदी युग से पहले' में बीजेपी को दो दिग्गज नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की राजनीतिक साझेदारी का वर्णन है।सीतापति ने किताब में दिखाया है कि बीजेपी के इन दो नेता आखिर किस तरह इतने लम्बे समय तक आपसी तालमेल बनाए रहे।

विनय सीतापति की दूसरी किताब 'जुगलबंदी: भाजपा मोदी युग से पहले' हिंद पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुई है। इसी नाम से अंग्रेजी में लिखी मूल किताब का हिंदी अनुवाद नीलम भट्ट और सुबोध मिश्र ने किया है। किताब में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की आपसी जुगलबंदी की कहानी के माध्यम से भारतीय राजनीति में भाजपा के उभार की कथा कही गयी है। विनय सीतापति इससे पहले पीवी नरसिम्हाराव पर Half Lion (हिंदी अनुवाद- आधा शेर) नामक किताब लिख चुके हैं। विनय सीतापति ने लोकमत से खास बातचीत में भाजपा के उदय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका, हिंदू राष्ट्रवाद , जाति और आरएसएस, आडवाणी और अटल की आपसी साझेदारी पर बातचीत की है।

Web Title: vinay sitapati jugalbandi vinay sitapati interview with rangnath singh

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