गुलाम नबी आजाद पर निर्मल खत्री का निशाना: जब-जब उप्र में प्रभारी बनकर आए, कांग्रेस का सत्यानाश ही हुआ

By भाषा | Published: August 29, 2020 05:31 PM2020-08-29T17:31:10+5:302020-08-29T17:31:10+5:30

फेसबुक पर एक पोस्ट में खत्री ने आजाद के हालिया बयान का संदर्भ देते हुए लिखा है, ‘‘आपने (आजाद ने) कुछ राज्यों का जिक्र किया, दावा किया कि वहां आपके दम पर कांग्रेस की सरकार बनी। लेकिन आप उत्तर प्रदेश को भूल गये जहाँ आप जब-जब प्रभारी बन कर आये कांग्रेस का सत्यानाश किया।''

Uttar Pradesh Nirmal Khatri's target Ghulam Nabi Azad Whenever came charge UP Congress annihilated | गुलाम नबी आजाद पर निर्मल खत्री का निशाना: जब-जब उप्र में प्रभारी बनकर आए, कांग्रेस का सत्यानाश ही हुआ

खत्री ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘यानी आप जब-जब उत्तर प्रदेश के प्रभारी के रूप में आये प्रदेश में कांग्रेस बैक गेयर में ही जाती रही।’’

Highlightsखत्री ने निशाना साधते हुए कहा कि ‘आजाद जब-जब उत्तर प्रदेश में प्रभारी बनकर आये, कांग्रेस का सत्यानाश ही हुआ है।’ 1996 में आजाद ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बसपा से समझौता किया, नतीजा कोई खास नहीं रहा।2017 में सपा से समझौता किया, सीट पहले से निम्नतम संख्सा (7) पर आ गयी।

लखनऊः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की टिप्पणियों को लेकर उत्तर प्रदेश के नेताओं के हमलावर तेवर बरकरार हैं और शनिवार को पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री ने निशाना साधते हुए कहा कि ‘आजाद जब-जब उत्तर प्रदेश में प्रभारी बनकर आये, कांग्रेस का सत्यानाश ही हुआ है।’

फेसबुक पर एक पोस्ट में खत्री ने आजाद के हालिया बयान का संदर्भ देते हुए लिखा है, ‘‘आपने (आजाद ने) कुछ राज्यों का जिक्र किया, दावा किया कि वहां आपके दम पर कांग्रेस की सरकार बनी। लेकिन आप उत्तर प्रदेश को भूल गये जहाँ आप जब-जब प्रभारी बन कर आये कांग्रेस का सत्यानाश किया।''

उन्होंने कहा कि 1996 में आजाद ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बसपा से समझौता किया, नतीजा कोई खास नहीं रहा और 2017 में सपा से समझौता किया, सीट पहले से निम्नतम संख्सा (7) पर आ गयी। खत्री ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘यानी आप जब-जब उत्तर प्रदेश के प्रभारी के रूप में आये प्रदेश में कांग्रेस बैक गेयर में ही जाती रही।’’

फैजाबाद से पूर्व सांसद ने लिखा, ''19 दिसंबर 1978 को इन्दिरा जी की गिरफ्तारी और लोकसभा सदस्यता समाप्त किये जाने के विरोध में मैं फैजाबाद में गिरफ्तार हुआ और 22 दिसबंर तक जेल में रहा।'' इसी संदर्भ में आजाद पर कटाक्ष करते हुए खत्री ने कहा कि 1977 से 1980 के बीच कुछ वक्त तक आजाद, इन्दिरा और संजय के साथ सक्रिय भूमिका में नहीं दिखे लेकिन जब उन्हें लगा कि कांग्रेस की वापसी हो सकती है, वह 1979 में दिल्ली में हुए एक प्रदर्शन में गिरफ्तार होकर तिहाड़ जेल पहुंचे। जबकि 1977 से ही देश में लाखों कांग्रेसी इन्दिरा गांधी पर होने वाले जुल्म के विरोध में जेल भरो आंदोलन चला रहे थे।

उन्होंने कहा, ''आजाद जी आपके संघर्ष की तुलना में लाखों कांग्रेसियों ने इस दौर में नेहरू-गांधी परिवार के साथ संघर्ष किया।'' आजाद द्वारा 23 साल से कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव नहीं होने का मसला उठाए जाने पर खत्री ने लिखा है, ‘‘23 साल से जब आप स्वयं कार्य समिति के मनोनीत सदस्य थे तब यह सवाल क्यों नहीं उठाया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी भी राय में हर स्तर पर चुनाव होना चाहिए लेकिन आप जैसे नेताओं ने ही मनोनयन के रास्ते को बेहतर समझा और उसका आनन्द लिया।'' उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 23 नेताओं की ओर से पार्टी अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने शुक्रवार को वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद को पार्टी से बाहर निकाल देने की मांग की। उन्होंने कहा कि पार्टी ने आजाद को बहुत कुछ दिया किंतु उन्होंने वफादारी नहीं की।

उप्र के कांग्रेस नेता ने आजाद को पार्टी से बाहर करने की मांग की

कांग्रेस के 23 नेताओं की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने शुक्रवार को वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद को पार्टी से बाहर निकाल देने की मांग की। उन्होंने कहा कि पार्टी ने आजाद को बहुत कुछ दिया किंतु उन्होंने वफादारी नहीं की। संगठन में व्यापक बदलाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया को पत्र लिखने वाले नेताओं में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद भी शामिल थे।

पठान ने बिजनौर से 'पीटीआई-भाषा' से फोन पर बातचीत में कहा, ‘‘ कांग्रेस कार्य समिति में सब कुछ तय हो गया था। सोनिया जी ने कहा कि मैं आपके पत्र से आहत हुई, लेकिन सब खत्म हो गया, चलो सब ठीक है। इसके बाद भी आजाद ने मीडिया से बात की और अपना बयान फेसबुक पर अगले दिन डाल दिया।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैंने कहा कि जब इन्होंने (आजाद) ही अनुशासन तोड़ दिया तब.. इन्हें आजाद कर देना चाहिए, पार्टी से निकाल देना चाहिए। '' पठान ने कहा, 'सोनिया जी ने इन्हें जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री पहले बना दिया था बाद में यह उप चुनाव जीते थे। कांग्रेस ने इन्हें बहुत कुछ दिया लेकिन आजाद ने वफादारी नहीं की ।’’ इससे पहले सोशल मीडिया पर पठान ने एक वीडियो जारी कर भी आजाद को कांग्रेस से बाहर करने की मांग की थी।

उन्होंने पार्टी आलाकमान से यह भी मांग की कि ऐसे लोगों को जो पार्टी में बातें ना कर बाहर बात करते हैं, उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए।’’ पिछले दिनों आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव और पूर्णकालिक एवं सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी। उनके इस पत्र को पार्टी के भीतर कई लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देने के तौर पर लिया।

इस पत्र से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में ही 24 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति की हंगामेदार और मैराथन बैठक हुई जिसमें सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष रहने का आग्रह किया गया और संगठन में जरूरी बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया गया। इस बैठक में पारित प्रस्ताव पर आजाद और पत्र लिखने वाले कई अन्य नेताओं ने भी सहमति जताई, हालांकि बृहस्पतिवार को आजाद ने एक साक्षात्कार में फिर कहा कि संगठन में हर स्तर पर चुनाव होना चाहिए और अगर चुनाव नहीं होता है तो कांग्रेस को अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठना पड़ सकता है। 

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