महंगी प्याज गिरा चुकी है अटल बिहारी वाजपेयी, शीला दीक्षित की सरकार, अबकी बार दाम 90 पार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 28, 2019 06:04 PM2019-11-28T18:04:49+5:302019-11-28T18:32:13+5:30
1998 के बाद 2013 में भी ऐसा ही देखने को मिला था। जब दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार मुश्किल में पड़ गई थी। 2014 के विधान सभा चुनाव में दिल्ली की दीक्षित सरकार हार गई थी। इस बार प्याज की बढ़ती कीमत की वजह से नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की चुनौतियां बढ़ सकती है। प्याज के मामले में एक सवाल के जवाब में रामविलास पासवान ने कहा, "यह हमारे हाथ में नहीं है, सरकार ज्यादा से ज्यादा से कोशिश कर रही है लेकिन प्रकृति से कौन जीत सकता है।
सरकार सिर्फ चाणक्य के फॉर्मूले से नहीं बनता है। कई बार सरकार प्याज जैसै संवेदनशील फसल की वजह से भी बनती और गिर जाती है। इन दिनों जिस तरह थोक व खुदरा प्याज की कीमत बढ़ रही है, इसे देख के देश के राजनीतिक इतिहास को याद करना जरूरी हो जाता है। यह इसलिए भी क्योंकि प्याज ने देश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस व बीजेपी को खून की आंसू रोने के लिए मजबूर किया है। देश की राजनीति में दो बार ऐसा देखने को मिला है जब प्याज की कीमतों की वजह से सरकारें गिर गई हैं।
पहली बार 1998 में प्याज ने गिराई थी सरकार-
यह 1998 का समय था। जब केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और1998 में प्याज की कीमतों ने सरकार व नेताओं को रुलाना शुरू कर दिया। अटल जी ने कहा भी था कि जब कांग्रेस सत्ता में नहीं रहती तो प्याज परेशान करने लगता है। शायद उनका इशारा था कि कीमतों का बढ़ना राजनैतिक षड्यंत्र है। उस समय दिल्ली प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और विधानसभा चुनाव सिर पर थे। तब प्याज के असर से बचने के लिए सरकार ने कई तरह की कोशिशें की, लेकिन दिल्ली में जगह-जगह प्याज को सरकारी प्रयासों से सस्ते दर पर बिकवाने की कोशिशें ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुईं।
दिल्ली में गिर गई थी शीला सरकार-
1998 के बाद 2013 में भी ऐसा ही देखने को मिला था। जब दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार मुश्किल में पड़ गई थी। 2014 के विधान सभा चुनाव में दिल्ली की दीक्षित सरकार हार गई थी। यही नहीं कहा जाता है कि इसके पहले 2010 में जब देश में महंगाई दर दो अंकों में थी, तो इसका मुख्य कारण प्याज की कीमतें ही थीं। इसका असर उस समय के चुनाव पर भी पड़ा था।
वर्तमान समय में प्याज की कीमत का हाल-
प्याज की कीमत में देशभर में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कई शहरो में दाम 90 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुके हैं। प्रयागराज के एक विक्रेता ने एएनआई को बताया कि पहले प्याज 15-10 रुपये प्रति किलो की पड़ती है लेकिन अब रेट बढ़कर 80-90 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच चुके हैं। थोक के दाम में हमें भी महंगी दर पर प्याज मिल रही है इसलिए हम बढ़े हुए दाम ग्राहकों से वसूल रहे हैं।
यह है प्याज की कीमत बढ़ने की मुख्य वजह-
अहमदाबाद के एक विक्रेता ने एएनआई को बताया, 'पुरानी फसल को बारिश ने बर्बाद कर दिया। इसलिए प्याज के दाम 70-75 रुपये किलो पहुंच गए हैं। नई फसल की प्याज आने पर प्याज की कीमत में सुधार होगा। अगले 20-25 दिनों में बढ़ी कीमतों से राहत मिल जाएगी।'
प्याज की आसमान छूती कीमतों के बीच सरकार ने व्यापारियों के लिए प्याज के भंडारण पर लगी सीमा को बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया। फिलहाल, खुदरा बाजार में प्याज 80-90 रुपये किलो चल रहा है। मौजूदा समय में , खुदरा व्यापारी 100 क्विंटल तक प्याज का और थोक व्यापारी 500 क्विंटल तक का भंडारण (स्टाक) कर सकता है। सरकार ने इसी सीमा को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने दिया ये जवाब-
आपको बता दें कि खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान से जब पूछा गया है कि प्याज की कीमतें कब सामान्य होंगी तो इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा, "यह हमारे हाथ में नहीं है, सरकार ज्यादा से ज्यादा से कोशिश कर रही है लेकिन प्रकृति से कौन जीत सकता है।"