राजस्थान का अंतिम सियासी परिणाम वसुंधरा राजे पर निर्भर?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 8, 2020 05:46 AM2020-08-08T05:46:34+5:302020-08-08T05:46:34+5:30
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया शुक्रवार (7 अगस्त) को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनके आवास पर मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान राजस्थान में सियासी स्थिति को लेकर चर्चा हुई.
जयपुर: चाहे सचिन पायलट खेमा कुछ भी करें, प्रदेश बीजेपी कोई भी हिसाब लगाए, लेकिन राजस्थान का राजनीतिक परिणाम तो अंततः पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर ही निर्भर है. यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की तो सियासी चर्चाओं का बाजार गर्मा गया. हालांकि, उनकी इस मुलाकात को प्रदेश बीजेपी नियमित मुलाकात के तौर पर प्रस्तुत कर रही है, लेकिन राजनीतिक जानकार इसके कई अर्थ-भावार्थ तलाश रहे हैं.
दिल्ली में अमित शाह से वसुंधरा राजे की फिलहाल नहीं हो सकती मुलाकात
दिलचस्प बात यह है कि वसुंधरा राजे दिल्ली तब गईं हैं, जब गृहमंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव हुए है, मतलब- उनसे मुलाकात की कोई गुंजाइश नहीं है. याद रहे, राजस्थान में बीजेपी का सियासी समीकरण बहुत उलझा हुआ है. मोदी-शाह और वसुंधरा राजे के सियासी रिश्ते जगजाहिर हैं, लिहाजा जब तक वसुंधरा राजे को प्रदेश का नेतृत्व सौंपने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व तैयार नहीं हो जाता है, तब तक ऑपरेशन लोटस के लिए राजस्थान में कोई खास संभावनाएं नहीं हैं? और, एमपी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की स्थिति देखने के बाद तो वसुंधरा राजे इस उलझे हुए राजनीतिक खेल में शायद ही हाथ डालेंगी.
सीएम गहलोत का राजनीतिक पलड़ा फिलहाल भारी
राजस्थान का असली सियासी गणित क्या है, वह तो फ्लोर टेस्ट के बाद ही सामने आएगा, लेकिन जिस तरह से सीएम अशोक गहलोत फ्लोर टेस्ट के लिए जल्दी दिखा रहे हैं और बीजेपी फ्लोर टेस्ट की चुनौती देने से बच रही है, उससे साफ है कि अभी तक तो सीएम गहलोत का राजनीतिक पलड़ा ही भारी है. बीजेपी को थोड़ी बहुत उम्मीद बसपा विधायकों से संबंधित हाइकोर्ट के निर्णय पर है.
लेकिन, इसका पक्का भरोसा किसी के पास भी नहीं है कि फ्लोर टेस्ट के ऐन मौके पर किसी भी पार्टी का कोई विधायक पार्टी लाइन से अलग नहीं जाएगा.
राजस्थान का सियासी गणित: वसुंधरा राजे के सामने क्या विकल्प
दरअसल, वसुंधरा राजे के सामने तीन तरह के परिणाम हो सकते हैं. एक- गहलोत सरकार फ्लोर टेस्ट में नाकामयाब रहे, लेकिन यदि इसके बाद वसुंधरा राजे सीएम नहीं बनती हैं, तो क्या फायदा. दो- गहलोत सरकार फ्लोर टेस्ट में असफल रहे और बीजेपी के सहयोग से सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनें, लेकिन वसुंधरा राजे उनके प्रमुख विरोधी, खासकर उत्तर-पूर्वी राजस्थान में, को क्यों आगे आने देंगी, जिन्होंने पांच साल तक बीजेपी की राजे सरकार का लगातार विरोध किया था.
तीन- गहलोत सरकार फ्लोर टेस्ट में जीत नहीं पाए और पायलट खेमे के सहयोग से बीजेपी की ओर से गजेन्द्र सिंह शेखावत जैसा कोई नेता सीएम बनें, लेकिन वसुंधरा राजे अपना सियासी हक क्यों छोडेंगी.
उपरोक्त तीनों स्थितियों में वसुंधरा राजे का कोई सियासी फायदा नहीं है, लेकिन यदि, सीएम गहलोत फ्लोर टेस्ट में कामयाब हो जाते हैं तो, वसुंधरा राजे का कोई राजनीतिक नुकसान तो नहीं ही होगा. लिहाजा, यथास्थिति ही वसुंधरा राजे के हित में है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि फ्लोर टेस्ट में जीत दर्ज कराना सीएम गहलोत के लिए चुनौती है, तो उनके विरोधियों के लिए तो फ्लोर टेस्ट में जीत दर्ज कराना और भी बड़ी चुनौती है!