Rajasthan Politics: सचिन पायलट व बागी विधायकों के मामले में सुनवाई राजस्थान हाईकोर्ट में 20 जुलाई तक टली
By अनुराग आनंद | Published: July 17, 2020 05:01 PM2020-07-17T17:01:17+5:302020-07-17T17:26:55+5:30
सचिन पायलट व बागी विधायकों को राजस्थान हाईकोर्ट ने कुछ दिनों के लिए राहत दी है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष 21 जुलाई तक किसी तरह से एक्शन नहीं ले पाएंगे।
जोधपुर: राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच राज्य के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को कारण बताओ नोटिस भेजते हुए 19 जुलाई तक का समय देकर कहा था कि यदि समय पर जवाब विधायकों की तरफ से नहीं आता है तो उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया जाएगा।
इस नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट में सचिन पायलट समर्थक गुट ने जो याचिका लगाई थी, आज इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसके बाद इस मामले में सुनवाई को सोमवार तक के लिए अभी टाल दी गई है। 20 जुलाई को इस मामले में एक बार फिर से हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है।
Hearing in the case to continue on Monday, July 20. https://t.co/br0zxbr6IV
— ANI (@ANI) July 17, 2020
कोर्ट ने नोटिस पर 21 जुलाई तक के लिए स्टे लगा दिया है-
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए नोटिस पर 21 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है।21 जुलाई तक स्पीकर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। इस केस में सोमवार को सुनवाई के बाद आगे फैसला लिया जाएगा। सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे व मुकुल रोहतगी के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस में हिस्सा लिया। सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि पायलट की याचिका प्री-मेच्योर है।
बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए वकील हरीश साल्वे ने ये कहा-
इस मामले में बागी विधायकों की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि असंतुष्ट विधायक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं। साल्वे ने कहा कि याचिकाकर्ता संविधान की दसवीं अनुसूची में निहित दल-बदल विरोधी कानून को चुनौती देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पायलट व विधायकों ने दल विरोधी कोई काम नहीं किया है, ऐसे में आलाकमान के सामने तानाशाही पर सवाल उठाना बगावत नहीं है।
इससे पहले याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांगा था समय-
बता दें कि इस मामले में याचिका दर्दज करते हुए याचिकाकर्ताओं ने खुद ही कोर्ट से याचिका में सुधार के लिए और वक्त मांग लिया था। दरअसल, स्पीकर के नोटिस के खिलाफ बागी विधायकों ने याचिका दायर की थी और इसके बाद सुधार के लिए कोर्ट से समय मांगा था। राजस्थान हाई कोर्ट में ये मामला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चल रहा था।