राजस्थान पाॅलिटिकल ड्रामाः BJP में जाकर भी पायलट का मुख्यमंत्री बनना आसान नहीं, समझें सीटों का गणित
By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 12, 2020 05:43 PM2020-07-12T17:43:32+5:302020-07-12T17:43:32+5:30
इस वक्त कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इनके अलावा गहलोत को एक दर्जन से ज्यादा निर्दलीय और अन्य विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इनमें पायलट के समर्थक विधायक भी हैं.
जयपुर:राजस्थान में पाॅलिटिकल ड्रामा दिलचस्प जरूर हो गया है, लेकिन सियासी गणित का पर्चा बहुत कठिन और उलझा हुआ है.
खबरें हैं कि सचिन पायलट खेमे के 24 कांग्रेसी विधायक मानेसर और गुड़गांव के होटलों में ठहरे हैं, तो पायलट भी दिल्ली में हैं. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि पायलट केवल नाराज हैं या ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा कोई बड़ा सियासी फैसला भी ले सकते हैं.
हालांकि, बीजेपी में जाने वाले किसी भी कांग्रेसी नेता को मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जैसा सर्वोच्च पद मिलना संभव नहीं है, इसलिए या तो पायलट केन्द्र में मंत्री पद के लिए राजी हो जाएं या फिर बीजेपी अपनी राजनीतिक परंपरा तोड़ कर उन्हें मुख्यमंत्री पद देने को तैयार हो जाएं, तभी सत्ता का सियासी समीकरण साधा जा सकता है.
सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट किया- एसओजी को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी, उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप एवम अन्य कुछ मंत्री व विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं. कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है.
उधर, विधायक खरीद फरोख्त पर राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि- पार्टी और सरकार में सभी विधायक एकजुट हैं.
इस सियासी तूफान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ट्विटर पर केवल सात्विक संदेश दे रहीं हैं, जबकि सचिन पायलट ने 10 जुलाई के बाद कोई ट्वीट ही नहीं किया है.
यदि मध्यप्रदेश की राजनीतिक कहानी राजस्थान में भी दोहराई जाती है, तब भी राजस्थान, एमपी जितना आसान नहीं है.
इस वक्त कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इनके अलावा गहलोत को एक दर्जन से ज्यादा निर्दलीय और अन्य विधायकों का समर्थन प्राप्त है. भाजपा और रालोपा के 75 एमएलए हैं.
यदि कांग्रेस के दो दर्जन विधायक इस्तीफा दे देते हैं, तो कांग्रेस के 83, बीजेपी-रालोपा के 75 विधायक होंगे. बहुमत के लिए 89 एमएलए की जरूरत होगी, मतलब- कांग्रेस को सरकार बचाने के लिए निर्दलीय और अन्य दलों के 18 में से 6 विधायकों की जरूरत होगी, जबकि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए निर्दलीय और अन्य दलों के 18 में से 14 एमएलए की आवश्यकता होगी.