राजस्थान सियासी संग्रामः बीजेपी में तोड़ की आशंका ने कांग्रेस को जोड़ दिया? होटल से घर पहुंची कांग्रेस!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 11, 2020 05:14 AM2020-08-11T05:14:48+5:302020-08-11T05:14:48+5:30
सियासी सारांश यही है कि पहले पायलट खेमे में विधायकों की अपर्याप्त संख्या के कारण बगावत कमजोर पड़ गई और बीजेपी बैकफुट पर आ गई, तो इसके बाद बीजेपी में तोड़ की आशंका ने कांग्रेस को फिर से जोड़ दिया।
जयपुर। करीब एक माह पहले राजस्थान के उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत से बगावत करके गहलोत सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी जरूर कर दी थी, लेकिन सीएम गहलोत ने पॉलिटिकल कांफिडेंस के साथ इस चुनौती का जवाब दिया, जिसके नतीजे में अब यह चुनौती खत्म हो गई है. जहां दिल्ली में सचिन पायलट ने राहुल गांधी से मुलाकात की, वहीं पूर्व मंत्री वरिष्ठ विधायक भंवरलाल शर्मा ने सीएम गहलोत से मुलाकात की और करीब पौन घंटे तक चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने प्रेस से कहा कि घर का मामला घर में ही निपट गया है.
ऐसा क्यों हुआ, आइए देखते हैं....
सचिन पायलटः शुरुआत में पायलट खेमा उत्साह में था और उसे उम्मीद थी की वह तीस से ज्यादा विधायक जुटा लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. विधायकों का आंकड़ा दो दर्जन के पार भी नहीं पहुंचा. हालांकि, तब भी पायलट खेमे को भरोसा था कि गहलोत खेमे के कुछ विधायक शक्ति परीक्षण का मौका आने पर उनका साथ दे सकते हैं, परन्तु गुजरते समय के साथ यह भरोसा भी कमजोर पड़ता गया और यह स्पष्ट हो गया कि पायलट खेमा और ज्यादा विधायक नहीं जुटा पाएगा. सबसे बड़ी समस्या यह रही कि कई विधायक पायलट के साथ तो थे, किन्तु वे एमपी जैसी सियासी राह पकड़ना नहीं चाहते थे.
बीजेपीः शुरुआत में बीजेपी भी काफी उत्साहित थी, क्योंकि वह एमपी में कामयाबी देख चुकी थी, परन्तु उसे सबसे पहला सियासी झटका तो तब लगा, जब उसे अहसास हुआ कि पायलट खेमे के पास गहलोत सरकार को गिराने लायक एमएलए का संख्याबल नहीं है. बीजेपी ने सबसे बड़ी गलती पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को नजरअंदाज करने की की, वे लंबे समय तक खामोश रही किन्तु जैसे ही सही समय आया, उन्होंने अपनी सियासी ताकत का अहसास करा दिया.
यही वजह है कि पहले गहलोत खेमे की भागमभाग को देख कर सियासी मजा लेने वाले राजस्थान में बीजेपी के नेताओं को अचानक लगा कि उनकी राजनीतिक नाव में भी छेद हो सकता है. लिहाजा, बीजेपी के विधायकों को भी गुजरात भेजना शुरू किया गया, करीब 20 एमएलए को तो भेजा भी गया, परन्तु कुछ वसुंधरा राजे समर्थक विधायकों ने बाहर जाने से मना कर दिया. जिसके कारण रविवार को ऐसे विधायकों के लिए जयपुर आया हेलिकॉप्टर एयरपोर्ट पर ही खड़ा रह गया, किन्तु विधायकों ने यह कहकर जाने से मना कर दिया कि लोग हम पर बेवजह शक करेंगे.
अशोक गहलोतः राजस्थान के सियासी संग्राम में सीएम गहलोत न केवल विजेता बन कर उभरे हैं, बल्कि उनका सियासी कद भी बढ़ा है. इस सियासी जंग के दौरान जहां सीएम गहलोत का पॉलिटिकल कांफिडेंस बना रहा, वहीं उन्होंने राजनीतिक धैर्य का भी परिचय दिया, जिसके कारण कांग्रेस के अधिकृत मंच पर तो वे बने ही रहे, उनकी पकड़ और भी मजबूत होती गई.
कैसे बदला सियासी घटनाक्रम
सियासी सारांश यही है कि पहले पायलट खेमे में विधायकों की अपर्याप्त संख्या के कारण बगावत कमजोर पड़ गई और बीजेपी बैकफुट पर आ गई, तो इसके बाद बीजेपी में तोड़ की आशंका ने कांग्रेस को फिर से जोड़ दिया, नतीजा- होटल से घर पहुंच गई कांग्रेस!