एमपी, राजस्थान के बाद झारखंड में उठापटक, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और वित्त मंत्री उरांव बोले- कई विधायक भाजपा के संपर्क में
By एस पी सिन्हा | Published: July 17, 2020 05:08 PM2020-07-17T17:08:07+5:302020-07-17T17:08:07+5:30
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव कई दिनों से लगातार आरोप लगा रहे हैं कि झारखंड की मौजूदा सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा कांग्रेस के कई विधायकों को प्रलोभन दे रही है.
रांचीः राजस्थान में जारी राजनीतिक गहमागहमी के बीच अब झारखंड में भी राजनीतिक गहमागहमी की सुगबुगाहट की बात सामने आने लगी है. सूबे में हेमंत सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा द्वारा कांग्रेस विधायकों को प्रलोभन देने का आरोप लगाए जाने के बाद राजनीतिक तपीस बढ़ गई है.
दरअसल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव कई दिनों से लगातार आरोप लगा रहे हैं कि झारखंड की मौजूदा सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा कांग्रेस के कई विधायकों को प्रलोभन दे रही है.
ऐसे में कांग्रेस के आरोपों को लेकर झामुमो के भी कान खडे हो गए हैं. झामुमो ने इन आरोपों पर भले ही ज्यादा हाय-तौबा नहीं मचाई, लेकिन पार्टी स्तर पर मोर्चाबंदी तेज कर दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्वस्त साथियों संग इस मुद्दे पर मंत्रणा कर सतर्कता की बात कही है, ताकि भाजपा को ऐसा कुछ करने का मौका नहीं मिल पाए.
वहीं कांग्रेस के कुछ विधायकों ने भी रामेश्वर उरांव के सुर में सुर मिलाते हुए यह संकेत दिया है कि कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है. उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश, मणिपुर, कर्नाटक और राजस्थान की तरह झारखंड में भी भाजपा सत्ता पर काबिज होने के लिए साजिश रच रही है.
ऐसे में कांग्रेस के सहयोग से राज्य में सरकार चला रही झामुमो अपने सहयोगी दलों के विधायकों को साधने के साथ-साथ अपने दल के महत्वाकांक्षी नेताओं को भी नियंत्रित रखने की है. फिलहाल कांग्रेस के भितरखाने आपाधापी ज्यादा है. लिहाजा ज्यादा जोखिम लेने की बजाय समन्वय पर जोर है.
सत्तारूढ़ दलों में आपसी समन्वय के लिए स्टीयरिंग कमेटी गठित करने की योजना है
इसबीच, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि सत्तारूढ़ दलों में आपसी समन्वय के लिए स्टीयरिंग कमेटी गठित करने की योजना है. इससे कामकाज में आसानी होगी और फीडबैक भी बेहतर मिलेगा. वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसकी आवश्यकता प्रतीत होती है.
विधायकों को तोडने की भाजपा की मंशा सफल नहीं होगी. कुछ विधायकों को बोर्ड और निगमों में भी एडजस्ट कर खुश करने की रणनीति पर विचार हो रहा है. हालांकि कई विधायक इसे कांग्रेस ले प्रदेश अध्यक्ष का मौका देखकर छोड़ा गया शिगूफा भी बता रहे हैं.
कांग्रेस के भितरखाने यह चर्चा है कि एक व्यक्ति, एक पद की नीति के तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव पद से हटाए जा सकते हैं. आलाकमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष की खोजबीन भी तेज की है. ऐसी स्थिति में अध्यक्ष बदलने की कवायद को रोकने के लिए रामेश्वर उरांव ने कांग्रेस के विधायकों को प्रलोभन देने का शिगूफा छोड़ा है, ताकि उन्हें हटाने की बजाय विधायकों को रोके रखने की कवायद पर आलाकमान का ध्यान केंद्रित हो जाए.