सचिन पायलट की हो सकती है वापसी, सीएम गहलोत परेशान, सोनिया गांधी का नया फरमान, जानिए पूरा मामला
By शीलेष शर्मा | Published: July 15, 2020 06:53 PM2020-07-15T18:53:17+5:302020-07-15T18:57:44+5:30
नईदिल्लीः सोमवार की रात कांग्रेस नेतृत्व ने सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर कार्रवाई करने की जो पटकथा लिखी थी, आज पार्टी के उसी नेतृत्व ने आदेश जारी कर दिये कि सचिन को मना कर फिर से पार्टी में वापस लाने के प्रयास किए जाएं।
तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच सोनिया गांधी ने यह आदेश देने फैसला तब किया जब सभी पदों से मुक्त किये जाने के बावजूद सचिन पायलट ने घोषणा की कि वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे। जहाँ एक ओर सचिन की घोषणा थी तो दूसरी ओर पार्टी में सोनिया पर यह दवाब बनता जा रहा था की पायलट को पार्टी से बहार का रास्ता दिखाना पार्टी के हित में नहीं है।
इन तमाम बातों का संज्ञान लेते हुए सोनिया ने नया फरमान ज़ारी किया,सोनिया के निर्देशों के बाद पार्टी के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय ने बयान जारी किया,यह कहते हुए कि सचिन के लिए पार्टी के दरवाज़े आज भी खुले हैं, वे आएं और खुले मन से बातचीत करें।
अविनाश पण्डे के बाद, रणदीप सुरजेवाला ने भी ऐसा ही बयान ज़ारी किया। लेकिन उन्होंने सचिन को जयपुर आने की सलाह दी, उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, सचिन भी इसी मौके की तलाश कर रहे थे, जिससे वे पार्टी में वापसी कर सकें। सचिन की वापसी के संकेतों से सीएम अशोक गहलोत खासे परेशान हो उठे हैं। उन्होंने आज सीधे सीधे सचिन पर पार्टी तोड़ने का आरोप सचिन पर सार्वजनिक रूप से लगा दिया। साथ ही सभी बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी करा दिए। गहलोत की इस करवाई से सोनिया गांधी खुश नहीं हैं,
सूत्र बताते हैं की प्रियंका गाँधी से चर्चा करने के बाद सोनिया गाँधी ने गहलोत के इस कदम पर नाराज़गी जताई है क्योंकि जब पार्टी सचिन को वापस लेने के बाबत प्रयास कर रही है तब इस तरह के हमले बंद किये जाने चाहिए। पार्टी की और से प्रियंका गाँधी और पी चिदंबरम सचिन के संपर्क में हैं जिसकी पुष्टि स्वयं सचिन पायलट ने की। पार्टी सूत्रों के अनुसार सचिन को बता दिया गया है कि पहले वे कांग्रेस नेतृत्व से मिलकर अपनी भूल सुधार करें और मामले को निपटाए उसके बाद ही उनकी नयी भूमिका तय की जाएगी।
पार्टी के जानकार बताते हैं कि गहलोत और सचिन के बीच विवाद की जो खाई बन गयी है उसे देखते हुए अब सचिन को राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी देने को लेकर पार्टी गंभीरता से विचार कर रही है। इसमें महासचिव अथवा कोई अन्य दूसरा पद दिया जाना संभव है,जिसका सीधा सरोकार संघटन के कामों से होगा, जिसके लिये सचिन को राजस्थान की राजनीति से दूर रहना पड़ सकता है ।
कल की करवाई के बाद सचिन ने अपनी राजनैतिक गतिविधियों पर विराम लगा दिया है। वे मीडिया से आज बात करने वाले थे लेकिन उन्होंने उससे रद्द कर दिया।अब वे मीडिया के ज़रिये पार्टी नेतृत्व के प्रति अपना विश्वास प्रदर्शित करने की कोशिश में जुटे हैं।
सचिन के गहलोत से नाराज़गी के जो महत्वपूर्ण कारण रहे
1 . महत्वपूर्ण फैसलोंमें शामिल न करना
2 . पोस्टिंग , ट्रांसफर उनकी मर्ज़ी के खिलाफ करना
3 . उनके द्वारा लिये फैसलों पर आपत्ति लगाना
4 . महत्वपूर्ण फाइलों को न भेजना और अपने ही स्तर पर निपटाना
5 . सचिन समर्थक मंत्रियों के अधिकारों पर कटौती
6. विज्ञापनों को ज़ारी करने में किसी प्रकार की भूमिका का ना होना
7. उनके और उनके समर्थकों की पुलिस से निगरानी कराना, जैसे मुद्दे शामिल हैं।
पिछले 24 घंटों में सचिन अपने समर्थकों के अलावा किसी भी दुसरे राजनीतिक दल के नेता से कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं और उनकी पूरी निगाह इस बात पर टिकी है के राहुल, सोनिया और प्रियंका का क्या रुख रहता है। सचिन इस बात से भी दुखी हैं की राहुल गाँधी ने अभी तक इस प्रकरण में कोई भूमिका क्यों नहीं निभाई।